वाच्य, वाच्य भेद , रूपान्तरण प्रश्न अभ्यास
CBSE Class 10 Hindi A व्याकरण वाच्य
वाच्य- वाच्य का
अर्थ है ‘बोलने का विषय।’
क्रिया के जिस रूप से यह
ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म
है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
क्रिया के उस परिवर्तन को ‘वाच्य’ या voice कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अंतर्गत कर्ता, कर्म अथवा भाव, इनमें से किसकी प्रधानता है.
कर्ता, कर्म या भाव के अनुसार क्रिया के रूप में परिवर्तन को वाच्य कहते है.
अर्थात, क्रिया का लिंग, वचन, और पुरुष, कर्ता के अनुसार होगा या कर्म के अनुसार अथवा स्वयं भाव के अनुसार, इसका बोध “वाच्य” है. जैसे;
राम रोटी खाता है. | कर्ता के अनुसार क्रिया अर्थात, कर्ता की प्रधानता |
राम ने रोटी खायी. | कर्म के अनुसार क्रिया अर्थात, कर्म की प्रधानता |
सीता से चला नही जाता. | भाव के अनुसार क्रिया अर्थात, भाव की प्रधानता |
Note:
संज्ञा या सर्वनाम का अपना लिंग, वचन तथा पुरुष होता है, लेकिन क्रिया यदि शुद्ध रूप में हो, तो उसका कोई अपना लिंग, वचन या पुरुष नही होता है. उसका लिंग, वचन और पुरुष संज्ञा या सर्वनाम के लिंग, वचन और पुरुष पर निर्भर करता है.
वाच्य का अर्थ
वाच्य का शाब्दिक अर्थ — वाणी या कथन होता है.
वाणी का तात्पर्य केवल वक्ता की वाणी या वक्ता का कथन से है, जो किसी एक तथ्य या बात को थोड़े से अर्थ के अंतर के साथ कहने का तरीका प्रदान करता है. जैसे;
- राम ने मेरी मदद की.
- राम के द्वारा मेरी मदद की गई
दोनों वाक्यों का भाव लगभग समान है क्योंकि, वाक्यों से मदद करने की अभिव्यक्ति ज्ञात हो रही है. लेकिन वाक्यों की संरचना अलग है.
पहले वाक्य में कर्ता की प्रधानता है जबकि दुसरें वाक्य में कर्म की प्रधानता है.
वाच्य के भेद
उपर्युक्त प्रयोगों के अनुसार वाच्य के तीन भेद हैं:—
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
कर्तृवाच्य
क्रिया के उस रूपांतर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो, उसे कर्तृवाच्य कहते है। जैसे—
लड़का खाता है; |
मैंने पुस्तक पढ़ी। |
सोहन सिनेमा नहीं देखता। |
मित्र विपत्ति में मदद करते हैं। |
भारतवासी महात्मा गांधी को नहीं भूल सकते हैं। |
रीमा चित्र बनाती है। |
बच्चे शोर मचाएँगे। |
फैक्टरी बंद कर दी। |
कर्मवाच्य
क्रिया के उस रूपांतर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो, उसे कर्मवाच्य कहते है। जैसे—
आम खाया जाता है। |
पुस्तक पढ़ी जाती है। |
छात्रों द्वारा पत्र लिखे जाते हैं। |
गोपाल से पत्र लिखा जाता है। |
मुझसे बोझ उठाया नहीं जा सका। |
कल देर तक पढ़ा गया। |
रामायण मुझसे नहीं पढ़ी जा सकी। |
मुझसे पत्र नहीं लिखा गया । |
यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार रूपांतरित न होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अँगरेजी की तरह हिंदी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होता; जैसे— ‘मैं पानी पीता हूँ’ के स्थान पर ‘मुझसे पानी पीया जाता है’ लिखना गलत होगा। हाँ, निषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता है— मुझसे पत्र लिखा नहीं जाता; उससे पढ़ा नहीं जाता।
भाववाच्य
क्रिया के उस रूपांतर को भाववाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो, उसे भाववाच्य कहते है। जैसे –
राम से टहला भी नहीं जाता |
धूप में चला नहीं जाता। |
मुझसे बैठा नहीं जाता; |
चलो, अब सोया जाय । |
हमसे हँसा नहीं जाता। |
वाणी के द्वारा कहानी सुनाई जाती है। |
अब चला जाय। |
टिप्पणी:
यहाँ यह द्रष्टव्य है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है, किंतु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती है।
वाच्य के प्रयोग
वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष का अध्ययन ‘प्रयोग’ कहलाता है। ऐसा देखा जाता है कि वाक्य की क्रिया का लिंग, वचन एवं पुरुष कभी कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है, तो कभी कर्म के लिंग-वचन-पुरुष के अनुसार, लेकिन कभी-कभी वाक्य की क्रिया कर्ता तथा कर्म के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्यपुरुष होती है; ये ही प्रयोग हैं।
अतः, ‘प्रयोग’ तीन प्रकार के होते हैं:—
- कर्तृ प्रयोग
- कर्मणि प्रयोग
- भावे प्रयोग
कर्तृ प्रयोग:
जब वाक्य की क्रिया
के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के लिंग,वचन
और पुरुष अनुसार हों तब कर्तृ प्रयोग होता
है; जैसे-
रितेश अच्छी
पुस्तकें पढ़ता है।
कर्मणि प्रयोग:
जब वाक्य की क्रिया
के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के लिंग, वचन
और पुरुष के अनुसार हों तब कर्मणि प्रयोग होता है; जैसे—पूजा ने पत्र लिखा।
भावे प्रयोग:
जब वाक्य की क्रिया
के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता अथवा कर्म के लिंग, वचन
और पुरुष के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्य पुरुष हों तब भावे प्रयोग
होता है; जैसे—मुझसे चला नहीं जाता।
वाच्य-परिवर्तन
1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य
कर्तृवाच्य से
कर्मवाच्य में रूपान्तरण के लिए हमें निम्नलिखित कार्य करने चाहिए
1. कर्त्ता कारक में करण कारक के चिह्न ‘से’/द्वारा’ का प्रयोग करना चाहिए।
2. कर्म को चिह्न-रहित करना चाहिए।
3. क्रिया को कर्म के लिंग-वचन-पुरुष के अनुसार
रखना चाहिए अर्थात् कर्म प्रधान बनाना चाहिए।
उदहारण
कर्तृवाच्य |
कर्मवाच्य |
बच्चे शोर
मचाएँगे। |
बच्चों के द्वारा
शोर मचाया जाएगा । |
रहमान पतंग उड़ा
रहा है। |
रहमान के द्वारा
पतंग उड़ाई जा रही है। |
फैक्टरी बंद कर
दी । |
फैक्टरी बंद करा
दी गई । |
बुढ़िया खाना
नहीं खा सकती। |
बुढ़िया के
द्वारा खाना नहीं खाया जाता है। |
सचिन मैच खेलने
चेन्नई जाएँगे। |
सचिन के द्वारा
मैच खेलने चेन्नई जाया जाएगा। |
रमेश पत्र लिखता
है। |
रमेश के द्वारा
पत्र लिखा जाता है। |
सोहन सिनेमा नहीं
देखता। |
सोहन के द्वारा
सिनेमा नहीं देखा जाता । |
राकेश पुस्तक पढ़
रहा है। |
राकेश के द्वारा
पुस्तक पढ़ी जा रही है। |
शीला पत्र लिख
रही है। |
शीला द्वारा पत्र
लिखा जा रहा है। |
तुम अखबार पढ़ते
हो । |
तुम्हारे द्वारा
अखबार पढ़ा जाता है। |
रीमा चित्र बनाती
है। |
रीमा के द्वारा
चित्र बनाया जाता है। |
माला ने खाना
खाया। |
माला के द्वारा
खाना खाया गया । |
नौकर घर की सफाई
करता है। |
नौकर के द्वारा
घर की सफाई की जाती है। |
मित्र विपत्ति
में मदद करते हैं। |
मित्रों के
द्वारा विपत्ति में मदद की जाती है। |
2. कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य
कर्मवाच्य से कर्तृवाक्य में परिवर्तन के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए–
1. यदि
वाक्य की क्रिया वर्तमान एवं भविष्यत् की है तो कर्तानुसार क्रिया की रूप रचना
रखनी चाहिए।
2. कर्त्ता के अपने चिह्न (०, ने)
आवश्यकतानुसार लगाना चाहिए।
3. भूतकाल की सकर्मक क्रिया रहने पर कर्म के
लिंग, वचन के अनुसार क्रिया को रखना चाहिए।
नोट : मूल रूप से
कर्ता को ही विषय बनाना चाहिए।
उदहारण
कर्मवाच्य |
कर्तृवाच्य |
मैं यह दृश्य
नहीं देख सका। |
मुझसे यह दृश्य
नहीं देखा गया। |
गोपाल पत्र लिखता
है। |
गोपाल से पत्र
लिखा जाता है। |
तुम झूठ नहीं बोल
सके। |
तुमसे झूठ नहीं
बोला गया। |
नानी कहानी नहीं
कहती। |
नानी से कहानी
कही नहीं जाती। |
मैं अखबार नहीं
पढ़ सकता। |
मुझसे अखबार पढ़ा
नहीं जाता। |
वे यह दृश्य देख
नहीं सकते। |
उससे यह दृश्य
देखा नहीं जाता। |
यह छात्रा
भावभीनी श्रद्धांजलि दे रही है। |
इस छात्रा द्वारा
भावभीनी श्रद्धांजलि दी जा रही है। |
मैंने पत्र नहीं
लिखा। |
मुझसे पत्र नहीं
लिखा गया। |
मैं पत्र पढ़
नहीं सकता। |
मुझसे पत्र नहीं
पढ़ा जाता। |
भारत ने नया
उपग्रह छोड़ा। |
भारत द्वारा नया
उपग्रह छोड़ा गया। |
कमला कल पत्र
लिखेगी। |
कमला द्वारा
कल-पत्र लिखा जाएगा। |
लड़कियाँ गीत गा
रही हैं। |
लड़कियों द्वारा
गीत गाए जा रहे हैं। |
छात्र पत्र लिखते
हैं। |
छात्रों द्वारा
पत्र लिखे जाते हैं। |
कल देर तक पढ़ा। |
कल देर तक पढ़ा
गया। |
3. कर्तृवाच्य से भाववाच्य
कर्तृवाच्य से
भाववाच्य में परिवर्तन करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
1. भाववाच्य में प्रायः अकर्मक क्रियाओं का ही
प्रयोग होता है ।
2. कर्त्ता के साथ से/द्वारा चिह्न लगाकर उसे
गौण किया जाता है।
3. मुख्य क्रिया को सामान्य क्रिया एवं अन्य
पुरुष पुल्लिंग एकवचन में स्वतंत्र रूप में रखा जाता है।
नोट: हिन्दी
में प्रायः निषेधवाचक भाववाच्यों का ही प्रचलन है।
उदहारण
कर्तृवाच्य |
भाववाच्य |
बच्चे शांत नहीं
रह सकते। |
बच्चों से शांत
नहीं रहा जाता। |
वे गा नहीं सकते। |
उनसे गाया नहीं
जाता। |
मैं नहीं चल
सकता। |
मुझसे चला नहीं
जाता। |
चलो, अब
सोते हैं। |
चलो, अब
सोया जाय। |
आइए, चलें। |
आए, चला
जाय । |
मैं घर में बैठ
नहीं सकता। |
मुझसे घर में
बैठा नहीं जाता। |
वह तख्त पर सोता
है। |
उससे तख्त पर
सोया जाता है। |
वह बेचारी रो भी
नहीं सकती। |
उस बेचारी से
रोया भी नहीं जाता। |
मैं चुप नहीं बैठ
सकता। |
मुझसे चुप नहीं
बैठा जा सकता। |
हमलोग रोज नहाते
हैं। |
हमलोगों से रोज
नहाया जाता है। |
गरमियों में लोग
खूब नहाते हैं। |
गरमियों में
लोगों से खूब नहाया जाता है। |
हम नहीं हँस
सकते। |
हमसे हँसा नहीं
जाता। |
पक्षी रात में
सोते हैं। |
पक्षियों से रात
में सोया जाता है। |
अब चलते हैं। |
अब चला जाय । |
Q. हिन्दी व्याकरण में वाच्य क्या है?
कर्ता, कर्म
या भाव के अनुसार क्रिया के रूप में परिवर्तन को वाच्य कहते है. दुसरें शब्दों में, क्रिया
के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं,
जिसके द्वारा इस बात का
ज्ञान होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता,
कर्म या भाव में से किसकी
प्रधानता है.
Q. वाच्य के कितने भेद है?
हिंदी व्याकरण में
वाच्य के तीन भेद है जो इस प्रकार है:
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य और
- भाववाच्य
Q. हिन्दी व्याकरण में वाच्य क्या है?
क्रिया का वह
रूपान्तर, जिससे कर्ता ,
कर्म और भाव के अनुसार
क्रिया के परिवर्तन ज्ञात हो, उसे वाच्य कहते है.
No comments:
Post a Comment