My Blog List

Monday, April 8, 2024

नेताजी का चश्मा Class 10 सार, व्याख्या, प्रश्नोत्तर, बहु विकल्पीय प्रश्न MCQ , Explanation and Question Answers

 

नेताजी का चश्मा Class 10 सार, व्याख्या, प्रश्नोत्तर, बहु विकल्पीय प्रश्न MCQ , Explanation and Question Answers



नेता जी का चश्मा पाठ सार (Netaji ka Chashma Summary)

प्रस्तुत पाठ ” नेताजी का चश्मा ” कहानी देशभक्ति से जुड़ी हुई है जिसमें कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के उन करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित किया गया है जो इस देश के निर्माण में अपने – अपने तरीके से सहयोग करते हैं। लेखक बताते हैं कि हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन उस कस्बे से गुजरना पड़ता था क्योंकि हर पंद्रहवें दिन कंपनी को कोई न कोई ऐसा काम होता था जिसके कारण हर पंद्रहवें दिन हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते थे। कस्बा उतना अधिक बड़ा नहीं था , उस कस्बे में वैसे कुछ ही मकान थे जिन्हें पक्का मकान कहा जा सकता है और जिसे बाजार कहा जा सके वैसा वहाँ पर केवल एक ही बाजार था। उस कस्बे में दो स्कूल , एक सीमेंट का छोटा – सा कारखाना , दो ओपन एयर सिनेमाघर , एक दो नगरपालिकाऐं भी थी। अब जहाँ नगरपालिका  होती है वहाँ पर कुछ – न – कुछ काम भी करती रहती हैं।  कभी वहाँ कोई सड़क पक्की करवा दी जा रही होती थी , कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए जाते थे , कभी कबूतरों के लिए घर बनवा देते थे तो कभी कवि सभाएँ करवा दी जाती थी। अब लेखक बताते हैं कि कस्बे की उसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘ शहर ’ के मुख्य बाजार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की मूर्ति लगवा दी थी। जो कहानी लेखक हमें सूना रहे हैं वह कहानी भी उसी मूर्ति  के बारे में है , बल्कि उसके भी एक छोटे – से हिस्से के बारे में है। लेखक को पूरी बात तो पता नहीं है , लेकिन उनको यह लगता है कि जो सुभाष चंद्र जी की मूर्ति में कमी रह गई है उसके बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे – जिसने भी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति बनवाई है उसको देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होगी या फिर अच्छी मूर्ति बनाने के लिए जो खर्चा लगता है और जो उन्हें मूर्ति बनाने के लिए खर्च दिया गया होगा उस से कहीं बहुत ज्यादा खर्च होने के कारण सही मूर्तिकार को उपलब्ध नहीं करवा पाए होंगे। या हो सकता है कि काफी समय भाग- दौड़ और लिखा – पत्री में बरबाद कर दिया होगा और बोर्ड के शासन करने का समय समाप्त होने की घड़ियाँ नजदीक आ गई हों और मूर्ति का निर्माण उससे पहले करवाना हो जिस कारण किसी स्थानीय कलाकार को ही मौक़ा देने का निश्चय कर लिया गया होगा, और अंत में उस कस्बे के एक मात्र हाई स्कूल के एक मात्र ड्राइंग मास्टर को ही यह काम सौंप दिया गया होगा ( यहाँ लेखक उन ड्रॉइंग मास्टर का नाम मोतीलाल जी मानते हैं क्योंकि मूर्ति के निचे जिस मूर्तिकार का नाम लिखा गया है वह मोतीलाल है और लेखक ने उस मूर्तिकार को हाई स्कूल का ड्राइंग मास्टर इसलिए माना है क्योंकि कोई भी मूर्तिकार किसी महान व्यक्ति की मूर्ति बनाते हुए कोई गलती नहीं करेगा ) और लेखक मानते है कि उन मास्टर जी को यह काम इसलिए सौंपा गया होगा क्योंकि उन्होंने महीने – भर में मूर्ति बनाकर ‘ पटक देने ’ का विश्वास दिलाया होगा। वह मूर्ति बहुत सुंदर थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस बहुत सुंदर लग रहे थे। वे बिलकुल बच्चों की तरह निश्छल और कम उम्र वाले लग रहे थे। उनकी वह मूर्ति फ़ौजी वर्दी में बनाई गई थी। जब भी कोई मूर्ति को देखता था था तो मूर्ति को देखते ही उसे नेता जी सुभाष चंद्र जी के प्रसिद्ध नारे ‘ दिल्ली चलो ’ और ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा ’  आदि याद आने लगते थे। इन सभी चीजों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार ने जिस प्रकार मूर्ति बनाई है उसकी कोशिश सफल और प्रशंसा के काबिल है। परन्तु उस मूर्ति में केवल एक चीज़ की कमी थी जो उस मूर्ति को देखते ही अटपटी लगती  थी। और वह कमी थी – सुभाष चंद्र बोस जी की आँखों पर चश्मा नहीं था। ( यह इसलिए कमी थी क्योंकि नेता जी सुभाष चंद्र बोस हमेशा चश्मा लगाए रहते थे और उनकी मूर्ति बिना चश्मे के बहुत अटपटी लग रही थी ) सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति पर चश्मा तो था , लेकिन संगमरमर का नहीं था। क्योंकि जब मूर्ति संगमरमर की है तो चश्मा भी उसी का होना चाहिए था लेकिन उस मूर्ति पर एक मामूली सा बिना किसी विशेषता वाला और असल के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से आगे बड़ रहे थे और चौराहे पर पान खाने रुके थे तभी उन्होंने इस चीज़ पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया था और यह देख कर उनके चेहरे पर एक हँसी – मज़ाक भरी मुसकान फैल गई थी। यह सब देख कर उन्होंने कहा था कि वाह भई ! यह तरीका भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की , लेकिन चश्मा असलियत का ! मूर्ति पर असली चश्में को पहनाने पर हवालदार साहब नागरिकों की देश – भक्ति की सराहना कर रहे हैं क्योंकि वह मूर्ति कोई आम मूर्ति नहीं थी बल्कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की थी और उस पर एक बहुत ही बड़ी कमी थी कि उस मूर्ति पर मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया था जो कहीं न कहीं नेता जी का अपमान स्वरूप देखा जा सकता है क्योंकि नेता जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व त्याग दिया था और उनकी छवि को उनके ही सादृश्य प्रस्तुत करना हर देशवासी का कर्तव्य है और कस्बे के नागरिकों ने भी अपने इसी कर्तव्य का निर्वाह करने की कोशिश की थी अतः हवलदार साहब इस घटना को देश भक्ति से जोड़ कर देख रहे हैं।  दूसरी बार जब हालदार साहब को किसी काम से कस्बे से गुज़रना था तो उन्हें नेता जी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति में कुछ अलग  दिखाई दिया। जब पहली बार उन्होंने मूर्ति को देखा था तब मूर्ति पर मोटे फ्रेम वाला चार कोनों वाला चश्मा था , अब तार के फ्रेम वाला गोल चश्मा था। यह सब देख कर हालदार साहब की जिज्ञासा और भी अधिक बड़ गई और इस बार वे उस पान वाले से बोले जिसकी दूकान पर वे पान खाया करते थे , कि वाह भई ! क्या तरीका है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों – ही – आँखों में हँसा। प्रश्न का उत्तर देने के लिए उसने पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे अपने मुँह में भरे हुए पान को थूका और पान खाने के कारण हुई लाल – काली बत्तीसी दिखाकर बोला  कि यह सब कैप्टन चश्मे वाला करता है। हालदार साहब उसके उत्तर को समझ नहीं पाए और फिर से पूछने लगे कि क्या करता है ? पानवाले ने हवलदार साहब को समझाया कि चश्मा चेंज कर देता है। हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए कि पान वाला क्या कहना चाहता है और वे फिर से पूछ बैठते हैं कि क्या मतलब ? क्यों चेंज कर देता है ? पान वाला फिर समझाते हुए कहता है कि ऐसा समझ लो कि उसके पास कोई ग्राहक आ गया होगा जिस को चौडे़ चौखट वाला चश्मा चाहिए होगा। तो कैप्टन कहाँ से लाएगा ? क्योंकि वह तो उसने मूर्ति पर रख दिया होगा। तो उस चौडे़ चौखट वाले चश्मे को मूर्ति से निकाल कर उस ग्राहक को दे दिया और मूर्ति पर कोई दूसरा चश्मा बिठा दिया। हवलदार साहब को पान वाले की सारी बातें समझ में आ गई थी लेकिन एक बात अभी भी उसकी समझ में नहीं आई कि अगर कैप्टन चश्मे वाला मूर्ति पर असली चश्मे लगाता है तो नेताजी का वास्तविक चश्मा कहाँ गया पीछे मुड़कर पान वाले ने पान की पीक नीचे थूकी और मुसकराता हुआ बोला , कि नेता जी का वास्तविक अर्थात संगमरमर का चश्मा मास्टर यानी मूर्तिकार बनाना भूल गया। पानवाले के लिए यह एक दिलचस्प बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए बहुत ही हैरान और परेशान करने वाली बात थी कि कोई कैसे इतनी महत्वपूर्ण चीज़ को भूल सकता है। अब हवालदार साहब को अपनी सोची हुई बात सही लग रही थी कि मूर्ति के नीचे लिखा ‘ मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल ’ सच में ही उस कस्बे का अध्यापक था। अपने खयालों में खोए – खोए वे पान वाले को उसके पान के पैसे चुकाकर , चश्मेवाले की देश – भक्ति के सामने आदर से सर झुकाते हुए जीप की तरफ चले लेकिन कुछ सोच कर रुक गए और पीछे मुडे़ और पानवाले के पास वापिस जाकर पूछा , क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है ? या आजाद हिन्द फौज का कोई सेवानिवृत सिपाही ? ( ऐसा हवलदार साहब ने इसलिए पूछा  क्योंकि हवलदार साहब के मुताबिक़ आज के समय में नेता जी का इतना ख़याल या इतनी देश – भक्ति तो किसी ऐसे व्यक्ति की ही हो सकती है जो या तो नेता जी से जुड़ा हुआ हो या आजादी की लड़ाई का कोई सिपाही हो ) अब तक पानवाला नया पान खाने जा रहा था। अपने हाथ में पान पकड़े हुए पान को मुँह से डेढ़ इंच दूर रोककर उसने हालदार साहब को बड़े ध्यान से देखा क्योंकि हवलदार साहब बहुत जिज्ञासा से कैप्टन चश्में वाले के बारे में पूछ रहे थे , फिर उसने वही अपनी लाल – काली बत्तीसी दिखाई और मुसकराकर हवलदार साहब से बोला – नहीं साहब ! वो लँगड़ा फौज में क्या जाएगा। वह तो एक दम पागल है पागल ! फिर इशारा करके दिखते हुए बोला कि वो देखो , वो आ रहा है। आप उसी से बात कर लो। उसकी फोटो – वोटो छपवा दो कहीं , जिससे उसका कोई नाम हो जाए या जिससे लोग उसे पहचानने लगे। हालदार साहब को पानवाले के द्वारा किसी देशभक्त का इस तरह मजाक उड़ाया जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। परन्तु जब वे मुड़े तो यह देखकर एकदम हैरान रह गए कि एक हद से ज्यादा बूढ़ा कमजोर – सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी – सा लकड़ी का संदूक और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत – से चश्मे लिए अभी – अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। उसे देख कर हवलदार साहब को बहुत बुरा लगा और वे सोचने लगे कि इस बेचारे की दुकान भी नहीं है !  फेरी लगाता है ! हालदार साहब अब और भी ज्यादा सोच में पड़ गए। वे बहुत कुछ और पूछना चाहते थे ,जैसे इसे कैप्टन क्यों कहते हैं ? क्या यही इसका वास्तविक नाम है ? लेकिन पानवाले ने पहले ही साफ बता दिया था कि अब वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं। क्योंकि पानवाले ने कैप्टन की ओर इशारा करके हवलदार साहब को बता दिया था कि वो कैप्टन है और अब जो कुछ भी हवलदार साहब को पूछना है वह उसी से जा कर पूछ ले। इसी कारण अब हवलदार पानवाले से भी कुछ नहीं पूछ सकते थे।  हालदार साहब बिना कैप्टन से मिले या कोई प्रश्न किए ही जीप में बैठकर चले गए। अगले दो सालों तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे और नेताजी की मूर्ति में बदलते हुए चश्मों को देखते रहे। अचानक फिर एक बार ऐसा हुआ कि मूर्ति के चेहरे पर कोई भी , कैसा भी चश्मा नहीं था। उस दिन पान की दुकान भी बंद थी। चौराहे की अधिकांश दुकानें बंद थीं। जिस कारण हवलदार साहब इसका कारण नहीं जान पाए। उसके अगली बार भी जब हवलदार साहब उस कस्बे से गुजरे तब भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था। किन्तु आज पान की दूकान खुली हुई थी जिस कारण हालदार साहब ने पान पहले तो पान खाया और फिर धीरे से पानवाले से पूछा – क्यों भई , क्या बात है ? आज तुम्हारे नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं है ? पानवाला हवलदार साहब की बात  सुनकर उदास हो गया। अपनी धोती के सिरे से अपनी आँखों में आए आँसुओं को पोंछता हुआ बोला कि  साहब ! कैप्टन मर गया। जब हवालदार साहब को कैप्टन के मर जाने के बाद बिना चश्मे की नेता जी की मूर्ति देखने को मिलती तो वे बार – बार सोचते , कि क्या होगा उस राष्ट्र का जो अपने देश की खातिर अपना सब कुछ घर – गृहस्थी – जवानी – ज़िदगी दाव पर लगा देते हैं और आज की पीढ़ी उन पर हँसती है और वे इसी मौके को ढूँढ़ती है कि कब उनका किसी तरह फायदा हो। सोच – सोच कर हवालदार साहब दुखी हो गए थे। पंद्रह दिन बाद जब फिर से अपने काम के सिलसिले में उसी कस्बे से गुज़रे। तब कस्बे में घुसने से पहले ही उन्हें खयाल आया कि कस्बे के बीचों बिच में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति अवश्य ही विद्यमान  होगी , लेकिन उन की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। क्योंकि जब मास्टर ने मूर्ति बनाई तब वह बनाना भूल गया। और उसकी इस कमी को कैप्टन पूरी करता था लेकिन अब तो कैप्टन भी मर गया। अब हवलदार साहब ने सोच लिया था कि आज वे वहाँ रुकेंगे ही नहीं , पान भी नहीं खाएँगे , यहाँ तक की मूर्ति की तरफ तो देखेंगे भी नहीं , सीधे निकल जाएँगे। उन्होंने अपने ड्राइवर से भी कह दिया था कि चौराहे पर रुकना नहीं है क्योंकि आज बहुत काम है और पान भी कहीं आगे खा लेंगे। लेकिन हर बार की आदत के कारण आदत से मजबूर आँखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ उठ गईं। लेकिन इस बार हवलदार साहब ने कुछ ऐसा देखा कि एक दम से चीखे , रोको ! जीप अपनी तेजी में थी , ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। जिस कारण रास्ता चलते लोग उन्हें देखने लगे। अभी जीप सही से रुकी भी नहीं थी कि हालदार साहब जीप से कूदकर तेज़ – तेज़ कदमों से मूर्ति की तरफ चल पड़े और उसके ठीक सामने जाकर सावधान अवस्था में खड़े हो गए। मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा – सा चश्मा रखा हुआ था , जैसा बच्चे अक्सर खेल – खेल में बना लेते हैं। यह देख कर हालदार साहब भावुक हो गए। इतनी – छोटी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं थी। (यहाँ अंत में सरकंडे से बने चश्मे को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आंखों पर देख कर हवलदार साहब का भावुक होना यह दर्शाता है कि देश – भक्ति उम्र की मोहताज नहीं होती। हवलदार साहब को लगा था कि कैप्टन के जाने के बाद शायद ही कोई नेता जी के चश्मे का मूल्य जान पाए लेकिन जब बच्चों ने नेता जी के चश्मे का मूल्य जाना तो हवालदार साहब भावुक हो गए क्योंकि अभी इस पीढ़ी में भी देश भक्ति जिन्दा है और हमें भी अपनी आने वाली पीढ़ी को आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व त्यागने वाले वीरों की गाथाएँ सुनानी चाहिए और उनका सम्मान करना भी सिखाना चाहिए। )

शब्दार्थ :- हालदार साहब को हर .............................हिस्से के बारे में।

हालदार हवलदार
कस्बा –   छोटा शहर या नगर , नगर से छोटी और गाँव से बड़ी बस्ती
ओपन एयर खुला हवादार
ठो – दो
पेशाबघर – पेशाबख़ाना , पेशाब करने के लिए बनाया गया स्थान
सम्मेलन किसी विशेष उद्देश्य या विषय पर विचार करने हेतु एकत्र होने वाले व्यक्तियों का समूह ( कॉन्फ़्रेंस ) , समारोह , अधिवेशन , सभा
उत्साही उत्साहयुक्त , आनंद तथा तत्परता के साथ काम में लगने वाला , हौसले वाला , उमंगवाला
चौराहा – वह स्थान जहाँ चार रास्ते मिलते हों , चौरास्ता , चौमुहानी
प्रतिमा – किसी की वास्तविक अथवा कल्पित आकृति के अनुसार बनाई हुई मूर्ति या चित्र

पाठ – पूरी बात तो अब पता नहीं ................................ का विश्वास दिला रहे थे।

मूर्तिकार – मूर्तियाँ बनाने वाला
लागत – किसी वस्तु , मकान आदि को बनाने में होने वाला ख़र्च , व्यय
अनुमान – अंदाज़ा , अटकल
बजट – आय-व्यय का लेखा
उफहापोह – भाग – दौड़
शासनावधि शासन करने का समय
स्थानीय – स्थान विशेष से संबंध रखने वाला , ग्राम – नगर आदि के लोगों का , ( लोकल )
अवसर – मौका
निर्णय – संकल्प , निश्चय , ( डिसीज़न )
इकलौते – एक मात्र

पाठ – जैसा कि कहा जा चुका है ............................ आँखों पर चश्मा नहीं था।

संगमरमर एक प्रकार का चिकना पत्थर , सफ़ेद रंग का एक प्रसिद्ध मुलायम पत्थर
बस्ट एक व्यक्ति के सिर , कंधे और छाती की मूर्ति
मासूम –  निश्छल , भोला , निरपराध , बेगुनाह
कमसिन –  अवयस्क , नाबालिग , सुकुमार , कम आयुवाला , अल्पवयस्क
वगैरह –  आदि , इत्यादि
सराहनीय –  प्रशंसा के योग्य , तारीफ़ के लायक , प्रशंसनीय
प्रयास –  कोशिश , प्रयत्न , मेहनत , परिश्रम
कसर – त्रुटि , कमी , अभाव
खटकना –  गड़बड़ी या अनहोनी

पाठ –  यानी चश्मा तो था ................................... मजाक की चीज़ होती जा रही है।

सामान्य साधारण , मामूली , आम , जिसमें कोई विशेषता न हो
सचमुच –  वास्तव में , यथार्थत
फ्रेम चश्मे आदि का बाहरी ढाँचा
गुज़रना – किसी जगह से आगे बढ़ना
लक्षित देखा हुआ , ध्यान में आया हुआ , अनुमान से जाना या समझा हुआ
कौतुक –   कुतूहल , आश्चर्य , अचंभा , विनोद , हँसी – मज़ाक , उत्सुकता , जिज्ञासा
आइडिया विचार , कल्पना
रियल – असली
निष्कर्ष – सारांश , निचोड़ या सिद्धांत , नतीजा , परिणाम
भावना – ध्यान , चिंतन , कामना , इच्छा , चाह

पाठ – दूसरी बार जब हालदार साहब ................................... कैप्टन चश्मेवाला करता है।

अंतर – फ़र्क , भिन्नता , भेदभाव
चौकोर – जिसके चारों कोने या पार्श्व बराबर हों , चौखूँटा , चौकोना
कौतुक जिज्ञासा
ठुँसा – मुँह को पूरी तरह भरना
खुशमिज़ाज़ – हमेशा खुश दिखने वाला या हमेशा खुश रहने वाला
आँखों – ही – आँखों में हँसना – मन में हंसना , अंदरूनी हंसना
तोंद थिरकी – पेट का हिलना
चेंज – बदलना
गिराक ग्राहक
चौखट – देहली , देहरी , सीमा
किदर किधर
उदर – उधर

 पाठ –  अब हालदार साहब को बात ...................................  खूब ! क्या आइडिया है।

बगैर बिना , रहित , सिवा
आहत चोट खाया हुआ , घायल , ज़ख़्मी
असुविधा – कठिनाई , परेशानी , दिक्कत
उपलब्ध – सुलभ , जो मिल सकता हो , मिला हुआ
गिने – चुने – थोड़े – बहुत
दरकार आवश्यक , ज़रूरी , अपेक्षित , अभिलाषित , आवश्यकता
संभवतः – हो सकता है , संभव है , संभावना है , मुमकिन है

 पाठ –  लेकिन भाई ! एक बात ............................... वह निकल गया होगा।

ओरिजिनल – वास्तविक
कत्था खैर की लकड़ियों को उबालकर निकाला हुआ गाढ़ा और सुखाया गया अर्क या सार जो पान में खाया जाता है
मज़ेदार –  बढ़िया , सुखदायी , जिसमें आनंद आता हो , दिलचस्प , रोचक , मनोरंजक
चकित –  विस्मित , अचंभित , आश्चर्यचकित , भौंचक , हैरान
द्रवित प्रवाही
वाकई –  वास्तव में , सचमुच , वस्तुतः
पारदर्शी – इस पार से उस पार तक दिखने वाला , जैसे – काँच , हवा , झीना वस्त्र
असफल – जो सफल न हो , विफल , नाकामयाब

पाठ –  हालदार साहब को यह सब ......................... बात करने को तैयार नहीं।

विचित्र – अनूठा , विलक्षण , अजीब , असाधारण , कौतूहल उत्पन्न करने वाला ,
चकित – विस्मित , अचंभित , आश्चर्यचकित , भौंचक , हैरान
विस्मित – जिसे विस्मय या आश्चर्य हुआ हो , चकित , अचंभित
समक्ष – आँखों के सामने , सम्मुख , प्रत्यक्ष , सामने
नतमस्तक – ( किसी के सम्मान में ) सिर झुकाने वाला , नम्र या विनीत
भूतपूर्व जो बीत चुका हो , पहले वाला , प्राचीन , पूर्ववर्ती , सेवानिवृत्त
अवाक –  विस्मित , स्तब्ध , चकित , चकित या हक्का-बक्का हो जाना
बेहद जिसकी हद या सीमा न हो , असीम , अपार , बहुत अधिक
मरियल –  अत्यंत दुर्बल , बहुत दुर्बल या दुबला और कमज़ोर , बे-दम
संदूकची छोटा संदूक , छोटा लकड़ी का डिब्बा

पाठ –  ड्राइवर भी बेचैन हो रहा ......................... उनकी आँखें भर आईं।

बेचैन –  व्याकुल , जिसे चैन न मिलता हो
प्रफुल्ल्ता ख़ुशी
रवाना – जो एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए चल पड़ा हो , प्रस्थित , चला हुआ

कौम – जाति , बिरादरी , वंश , नस्ल , राष्ट्र , ( नेशन )
होम कुर्बान
हृदयस्थली – हृदय की ज़मीन
प्रतिष्ठापित जिसका प्रतिष्ठापन किया गया हो या हुआ हो
अटेंशन सावधान
सरकंडा  एक पौधा जिसके तने में गाँठें होती हैं , गाँठदार सरपत , मूँज , सरई
भावुक –  दयालु , जज़्बाती , संवेदनशील

 नेताजी का चश्मा प्रश्न – अभ्यास (Netaji ka Chashma Question Answers)

प्रश्न 1 – सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?

उत्तर – सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे , क्योंकि

  • कैप्टन चश्मे वाले में नेताजी के प्रति अगाध लगाव एवं श्रद्धा भाव था।
  • वह शहीदों एवं देशभक्तों के अलावा अपने देश से उसी तरह लगाव रखता था जैसा कि फ़ौजी व्यक्ति रखते हैं।
  • उसमें देश प्रेम एवं देशभक्ति का भाव कूट-कूटकर भरा था।
  • वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर दुखी होता था। और कभी भी नेता जी की मूर्ति को बिना चश्मे के नहीं रहने देता था।


प्रश्न 2 – हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा
( क ) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे ?
उत्तर – हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे , क्योंकि वे सोचते थे कि कस्बे के बीचों बिच में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति अवश्य ही विद्यमान  होगी , लेकिन उन की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। क्योंकि जब मास्टर ने मूर्ति बनाई तब वह बनाना भूल गया। और उसकी इस कमी को कैप्टन पूरी करता था लेकिन अब तो कैप्टन भी मर गया। देशभक्त हालदार साहब को नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उदास कर देती थी।

( ख ) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?
उत्तर मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि देश में देशप्रेम एवं देशभक्ति समाप्त नहीं हुई है। देश – भक्ति उम्र की मोहताज नहीं होती। बच्चों द्वारा किया गया कार्य स्वस्थ भविष्य का संकेत है। उनमें राष्ट्र प्रेम के बीज अंकुरित हो रहे हैं।

( ग ) हालदार साहब इतनी – सी बात पर भावुक क्यों हो उठे ?
उत्तर हालदार साहब सोच रहे थे कि कैप्टन के न रहने से नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन होगी परंतु जब यह देखा कि मूर्ति की आँखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ है तो उनकी निराशा आशा में बदल गई। उन्होंने समझ लिया कि युवा पीढ़ी में देशप्रेम और देशभक्ति की भावना है जो देश के लिए शुभ संकेत है। यह बात सोचकर वे भावुक हो गए।

प्रश्न 3 – आशय स्पष्ट कीजिए –
‘‘ बार – बार सोचते , क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर – गृहस्थी – जवानी – जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। ”
उत्तर – उक्त पंक्ति का आशय यह है कि बहुत से लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। कुछ लोग उनके बलिदान की प्रशंसा न करके ऐसे देशभक्तों का उपहास उड़ाते हैं। लोगों में देशभक्ति की ऐसी घटती भावना निश्चित रूप से निंदनीय है। ऐसे लोग इस हद तक स्वार्थी होते हैं कि उनके लिए अपना स्वार्थ ही सर्वोपरि होता है। वे अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए देशभक्तों का मजाक बनाने को भी तैयार रहते हैं।

 प्रश्न 4 – पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – पानवाला अपनी पान की दुकान पर बैठा ग्राहकों को पान देने के अलावा उनसे कुछ न कुछ बातें करता रहता है। वह स्वभाव से खुशमिज़ाज , काला मोटा व्यक्ति है। उसकी तोंद निकली हुई है। वह पान खाता रहता है जिससे उसकी बत्तीसी लाल – काली हो गई है। वह जब हँसता है तो उसकी तोंद थिरकने लगती है। वह वाकपटु है जो व्यंग्यात्मक बातें कहने से भी नहीं चूकता है।

 प्रश्न 5 – “ वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल ! ”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर – “ वह लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल ! ” पानवाला कैप्टन चश्मेवाले के बारे में कुछ ऐसी ही घटिया सोच रखता है। वास्तव में कैप्टन इस तरह की उपेक्षा का पात्र नहीं है। उसका इस तरह मजाक उड़ाना तनिक भी उचित नहीं है। वास्तव में कैप्टन उपहास का नहीं सम्मान का पात्र है जो अपने अति सीमित संसाधनों से नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर देशप्रेम का प्रदर्शन करता है और लोगों में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करने का भरसक प्रयास भी करता है। और अंत में बच्चो द्वारा सरकंडे का चश्मा बनाने और नेता जी की मूर्ति पर रखना इस बात का संकेत है कि कैप्टन कहीं – न – कहीं सफल हुआ है।


 नेताजी का चश्मा बहु विकल्पीय प्रश्न (Netaji ka Chashma MCQs)

1. हालदार को किसके काम से कस्बे से गुजरना पड़ता था?
(क) कंपनी के
(ख) थाने के
(ग) कारखाने के
(घ) वाहन के

उत्तर (क) कंपनी के

2. शहर के मुख्य चौराहे पर किसकी प्रतिमा लगी थी?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) नेहरू जी
(ग) नेताजी सुभाषचंद्र बोस
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) नेताजी सुभाषचंद्र बोस

3. नेताजी की मूर्ति किससे बनी थी?
(क) पत्थर की
(ख) संगमरमर की
(ग) लोहे की
(घ) लकड़ी की

उत्तर (ख) संगमरमर की

4. पहली बार कस्बे से गुजरने पर हवलदार मूर्ति पर क्या देखकर चौंके?
(क) टोपी
(ख) छाता
(ग) चश्मा
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) चश्मा

5. कस्बे से जाने के बाद भी हवलदार किसके बारे में सोचते रहे?
(क) पानवाले के
(ख) चश्मेवाले के
(ग) मूर्ति के
(घ) कस्बे के

उत्तर (ग) मूर्ति के

6. नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति किसे बुरी लगती थी?
(क) हालदार को
(ख) क्स्बेवालों को
(ग) पानवाले को
(घ) चश्मे वाले को

उत्तर (क) हालदार को

7. लोग चश्मे वाले को किस नाम से बुलाते थे?
(क) सिपाही
(ख) कैप्टन
(ग) पुलिस
(घ) थानेदार

उत्तर (ख) कैप्टन

8. एक बार कस्बे से गुजरते समय हवलदार को मूर्ति में क्या अंतर दिखाई दिया?
(क) मूर्ति पर चश्मा नहीं था|
(ख) मूर्ति टूटी हुई थी|
(ग) मूर्ति गंदी थी|
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (क) मूर्ति पर चश्मा नहीं था|

9. हवलदार को किसका मजाक उड़ाना अच्छा नहीं लगा?
(क) मूर्ति का
(ख) पानवाले का
(ग) चश्मेवाले का
(घ) देश का

उत्तर (ग) चश्मेवाले का

10. चश्मेवाले को पानवाला क्या समझता था?
(क) कैप्टन
(ख) पागल
(ग) ईमानदार
(घ) गरीब

उत्तर (ख) पागल

नेताजी का चश्मा

वसुनिष्ठ प्रश्न

 

1. नेताजी की मूर्ति किससे बनी थी?

क. पत्थर की

ख. संगमरमर की

ग. लोहे की

घ. लकड़ी की

उत्तर = संगमरमर की

2. पहली बार कस्बे से गुजरने पर हालदार साहब मूर्ति पर क्या देखकर चौंके?

क. टोपी

ख. छाता

ग. चश्मा

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर= चश्मा

3. कस्बे से जाने के बाद भी हालदार साहब किसके बारे में सोचते रहे?

क. पानवाले के

ख. चश्मेवाले के

ग. मूर्ति के

घ. कस्बे के

उत्तर= मूर्ति के

4. नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति किसे बुरी लगती थी?

क. हालदार साहब को

ख. कस्बेवालों को

ग. पानवाले को

घ. चश्मे वाले को

उत्तर= चश्मे वाले को

5. लोग चश्मे वाले को किस नाम से बुलाते थे?

क. सिपाही

ख. कैप्टन

ग. पुलिस

घ. थानेदार

उत्तर= कैप्टन

6. एक बार कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को मूर्ति में क्या अंतर दिखाई दिया?

क. मूर्ति पर चश्मा नहीं था

ख. मूर्ति टूटी हुई थी

ग. मूर्ति गंदी थी

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर= मूर्ति पर चश्मा नहीं था

 

7. हालदार साहब को किसका मजाक उड़ाना अच्छा नहीं लगा?

क. मूर्ति का

ख. पानवाले का

ग. चश्मेवाले का

घ. देश का

उत्तर= चश्मेवाले का

 

8. चश्मेवाले को पानवाला क्या समझता था?

क. कैप्टन

ख. पागल

ग. ईमानदार

घ. गरीब

उत्तर= पागल

 

9. नेताजी की मूर्ति की ऊँचाई कितनी थी?

क. 4 फुट

ख. 3 फुट

ग. 5 फुट

घ. 2 फुट

उत्तर = 2 फुट

 

10. किसे देखकर हालदार साहब के चेहरे पर कौतुकभरी मुस्कान फ़ैल गई?

क. पानवाले को

ख. बच्चे को

ग. मूर्ति के चेहरे को

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर= मूर्ति के चेहरे को

 

11. हालदार साहब किस बात पर दुखी हो गए?

क. दुनिया के स्वार्थी स्वभाव पर

ख. नेताजी की मूर्ति को देखकर

ग. पानवाले को देखकर

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर= दुनिया के स्वार्थी स्वभाव पर

 

12. चश्मेवाले के प्रति पानवाले के मन में कैसी भावना थी?

क. घृणा

ख. उत्साह

ग. उपेक्षा

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर= उपेक्षा

 

13. हालदार साहब का स्वभाव कैसा था?

क. सनकी                                                ख. पागल

ग. भावुक                                                घ. देशभक्त

उत्तर= देशभक्त

 

14. नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा किसने लगाया होगा?

क. पानवाले ने

ख. लेखक ने

ग. हालदार साहब ने

घ. किसी बच्चे ने

उत्तर= किसी बच्चे ने

 

15. हालदार साहब की क्या आदत थी ?

क. हालदार साहब जब भी इस कस्बे से गुजरते तो वे नेताजी की मूर्ति वाले चौराहे पर रूककर पान खाते थे

ख. हालदार साहब को पान वाले से मिलना अच्छा लगता था

ग. हालदार साहब नेताजी की मूर्ति को चश्मा पहना देते थे

घ. हालदार साहब पान वाले से मज़ाक अवश्य करते थे

उत्तर= हालदार साहब जब भी इस कस्बे से गुजरते तो वे नेताजी की मूर्ति वाले चौराहे पर रूककर पान खाते थे

 

 

 

 

16. कैप्टन चाश्मेवाला अपने गिने-चुने चश्मों  में  से एक फ्रेम  नेताजी की मूर्ति को क्यों पहनाता था?

क. कैप्टन को नेताजी की बिना चश्मेवाली मूर्ति आहत करती थी

ख. उसको लगता था कि यह देशभक्तों  का अनादर है

ग. वह नेताजी को असली रूप में देखना चाहता था

घ. उपर्युक्त सभी कथन सत्य है

उत्तर= उपर्युक्त सभी कथन सत्य है

 

17. हालदार साहब को पान वाले की क्या बात अच्छी नहीं लगी ?

क.  नेताजी का मज़ाक उड़ाना

ख. चश्मेवाले कैप्टन  को पागल कहना

ग.  तौंद हिलाकर हँसना

घ.  बिना वजह बोलना

उत्तर= चश्मेवाले कैप्टन  को पागल कहना

 

18. कैप्टन  को देखकर हालदार साहब अवाक् क्यों रह गए ?

क. कैप्टन का व्यक्तित्व आकर्षित करने वाला था

ख.  कैप्टन सचमुच का कैप्टन था

ग. कैप्टन बूढ़ा, मरियल तथा लंगड़ा आदमी था

घ. कैप्टन बहुत बहादुर था

उत्तर= कैप्टन बूढ़ा, मरियल तथा लंगड़ा आदमी था

 

19. कैप्टन क्या कार्य  करता था ?

क. वह फेरी लगाकर चश्में बेचता था

ख. वह फौजियों को ट्रेनिंग को देता था

ग. वह एक विद्यालय में शिक्षक था

घ. वह खेती का कार्य करता था

उत्तर= वह फेरी लगाकर चश्में बेचता था

 

20. हालदार साहब क्या सुनकर मायूस हो गए थे ?

क. नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति की बात सुनकर

ख. कैप्टन की मृत्यु  का समाचार सुनकर

ग. लोगों में देशभक्ति  की भावना की कमी देखकर

घ.औरकथन सत्य है

उत्तर= कैप्टन की मृत्यु  का समाचार सुनकर

 

 

 

21.नेताजी का चश्मा’ कहानी हम में किस भावना को जगाती है?

क. व्यक्ति पूजा

ख. देशभक्ति की भावना

ग. परिश्रम की भावना

घ. परोपकार की भावना

उत्तर= देशभक्ति की भावना

 

22.नेताजी का चश्मा’ पाठ किस महान व्यक्ति के बारे में है?

क.  पं. जवाहरलाल नेहरु

ख.  महात्मा गाँधी

ग.  बाल गंगाधर तिलक

घ.  सुभाषचंद्र बोस

उत्तर= सुभाषचंद्र बोस

 

23.नेताजी का चश्मा’ पाठ में किस बात को उठाया गया है ?

क.विलुप्त होती देशभक्ति की भावना को

ख. बढ़ती महँगाई

ग. राजनिति में बढ़ता भ्रष्टाचार

घ. भ्रष्ट राजतंत्र

उत्तर= विलुप्त होती देशभक्ति की भावना को

 

24. नगर पालिका को मूर्ति  बनवाने में देरी क्यों हो रही थी ?

क. उनके पास पैसा कम था

ख. उनको अच्छे मूर्तिकार  की जानकारी नहीं थी

ग. नगर पालिका में आपस में  फूट थी

घ. वे उस पैसे को मिल -बाँटकर खाना चाहते थे

उत्तर= उनको अच्छे मूर्तिकार  की जानकारी नहीं थी

 

25. मूर्ति बनाने का कार्य किसको सौंपा गया ?

क. एक प्रसिद्ध मूर्तिकार  को

ख. कस्बे के हाईस्कूल के ड्राइंग मास्टर को

ग. कस्बे के एक चित्रकार  को

घ. स्थानीय बढई मिस्त्री को

उत्तर= कस्बे के हाईस्कूल के ड्राइंग मास्टर को

 

 

 

26. मोतीलाल जी ने नगर पालिका के बोर्ड को क्या विश्वास दिलाया ?

क. मैं बहुत अच्छा मूर्तिकार हूँ

ख. मुझसे अच्छी मूर्ति कोई नहीं बना सकता

ग. मैं नेताजी की मूर्ति एक माह में बना दूंगा

घ. में इस मूर्ति  को कम लागत में तैयार कर दूंगा

उत्तर= मैं नेताजी की मूर्ति एक माह में बना दूंगा

 

27. मूर्ति को देखने पर क्या बात सबसे ज्यादा खटकती थी ?

क.मूर्ति की आँखों पर संगमरमर का चश्मा न होना

ख.नेताजी का फौजी वर्दी में न होना

ग. मूर्ति का सुंदर न होना

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर= मूर्ति की आँखों पर संगमरमर का चश्मा न होना

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

 

हालदार साहब को हर 15 वे दिन कंपनी के काम के सिलिसले में उस के से गुज़रना पड़ता था। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही मकान और जिसे बाज़ार कहा जा सके वैसा एक ही बाज़ार था। कस्बे में  एक लड़कों का स्कूल , एक लड़िकयों का स्कूल, एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक ठो नगर पालिका भी थी। नगर पालिका थी तो कुछ--कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी, तो कभी कवि सम्मलेन करवा दिए। इसी नगर पालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासिनक अधिकारी ने एक बार शहरके मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी।

 

28. कंपनी के काम के सिलिसले में कस्बे से कौन गुजरते थे ?

क.हवलदार साहब

ख.जेलदार साहब

ग. हालदार साहब

घ. जमादार साहब

उत्तर= हालदार साहब

 

29. जिस कस्बे से हालदार साहब गुजरते थे वह कैसा था ?

क.बहुत बड़ा

ख.बहुत छोटा

ग. महानगर जितना

घ. बहुत बड़ा नहीं था

उत्तर= बहुत बड़ा नहीं था

 

30.एक ठोका क्या अर्थ है ?

क.एक अदद

ख.एक स्थान

ग. एक नगर

घ. किसी वस्तु का नाम

उत्तर= एक अदद (एक इकाई)

 

31.  चौराहे पर किस नेता की मूर्ति लगवाई गई ?

क. महात्मा गाँधी

. सुभाषचंद्र बोस

. सरदार पटेल

. पं. जवाहरलाल नेहरु

उत्तर= सुभाषचंद्र बोस की

 

32. उस कस्बे में किस चीज़ का कारखाना था ?

क.वस्त्र-बुनाई

ख. इस्पात कारखाना

ग. खाद कारखाना

घ. सीमेंट कारखाना

उत्तर= सीमेंट कारखाना

 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

जैसा कि कहा जा चुका है, मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची। जिसे कहते है ‘बस्ट’ । और सुंदर थी।  नेताजी सुंदर लग रहे थे। कुछ-कुछ मासूम और कमिसन । फौजी वर्दी मेंI  मूर्ति को देखते ही दिल्ली चलोऔर तुम मुझे खून दो…..’ वगैरह याद आने लगते थे। इस दृष्टि से यह सफ़ल और सराहनीय प्रयास था। केवल एक चीज़ की कसर थी जो देखते ही खटकती थी। नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं। था। यानी चश्मा तो था, लेकिन संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य और सचमुच के चश्में का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुज़रे और चौराहे पर पान खाने रुके, तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुकभरी मुसकान फैल गई। वाह भई! यह आइिडया भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की, लेकिन चश्मा रियल!

 

 

 

 

 

33. नेताजी की मूर्ति किसकी बनी हुई थी ?

क.ताँबे की

ख. चाँदी की

ग. मिट्टी की

घ. संगमरमर की

उत्तर= संगमरमर की

 

34. ‘बस्ट’ किसे कहते है?

क.मूर्ति को कहते है

ख. पत्थर को कहते है

ग. छाती तक की मूर्ति को कहते है

घ. आदमकद मूर्ति को कहते है

उत्तर= छाती तक की मूर्ति को कहते है

 

35. नेताजी किस वेशभूषा में थे ?

क. खादी कपड़ों में

ख. साधारण कपड़ों को

ग. फ़ौजी वर्दी में  

घ. रेशमी वस्त्रों में

उत्तर= फ़ौजी वर्दी में  

 

36. नेताजी का चश्मा कैसा था ?

क. चौड़ा काला असली फ्रेम वाला

ख. संगमरमर का

ग. ताँबे से बना

घ. लकड़ी का बना

उत्तर= चौड़ा काला असली फ्रेम वाला

 

37.  हालदार साहब के चेहरे पर कैसी मुसकान फैल गई ?

क. गंभीर-मुसकान

ख. कौतुक-भरी

ग. शरारत-भरी

घ. दर्द-भरी

उत्तर= कौतुक-भरी

 

 

 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

 

हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार के से गुजरते समय चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भाई! क्या बात है ? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है ? पानवाले के मुँह में खुद पान ठुंसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशिमज़ाज आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मेवाला करता है।

 

38. हालदार साहब को कैसी आदत पड़ गई थी ?

क. चाय पीने की

ख. पान खाने की

. मूर्ति की ओर देखने की

. उस कस्बे से गुज़रने की

उत्तर=पान खाने की पान खाने की आदत पड़ गई थी।

 

39. दुर्दमनीयशब्द का अर्थ है ………..

. जिसे मुश्किल से दबाया जा सके

. बहुत बुरा

. दबा हुआ

. शोषण करने

उत्तर= जिसे मुश्किल से दबाया जा सके

 

40. हालदार साहब ने पानवाले से क्या प्रश्न किया ?

.  तुम्हारा पान अब अच्छा नहीं रहा

. तुमने अच्छा पान बनाना किससे सीखा

.  नेताजी का चश्मा किसने बनाया

.  नेताजी का चश्मा हर बार कैसे बदल जाता है

उत्तर= नेताजी का चश्मा हर बार कैसे बदल जाता है

 

41. पानवाला कैसा आदमी था ?

क. बहुत क्रुर आदमी

ख. काला मोटा और खुशिमज़ाज

ग. मरियल-सा आदमी

घ.  बहुत चतुर आदमी

उत्तर= काला मोटा और खुशिमज़ाज

42.  ‘लाल-लाल बत्तीसीका क्या अर्थ है ?

क. चूना-कत्था मिलने से बना रंग

ख. लाल रंग के बत्तीसी दाँत

ग. क्रोधी स्वभाव वाला व्यक्ति

घ.  सड़े-गले दाँत

उत्तर=लाल रंग के बत्तीसी दाँत, जो पान खाने से लाल हो गए थे।

43. चश्मेवाले (कैप्टन) के मन में देशभक्तों के प्रति कैसी भावना थी?

क. आदर की

ख.  घमंड की

ग.  घृणा की

घ.  ईर्ष्या की

उत्तर= आदर की

44. हालदार साहब क्या देखकर दुखी हुए थे?

क. देश को

ख.  देश भक्तों को

ग.  देश भक्तों के प्रति अनादर भाव रखने वालों को

घ.  देशद्रोही को

उत्तरदेश भक्तों के प्रति अनादर भाव रखने वालों को

 

45. 'नेताजी का चश्मा' नामक कहानी में देशभक्तों का अनादर करने वाले पात्र कौन हैं?

 क. हालदार                                             ख.  हालदार का ड्राइवर

 ग.  कैप्टन                                                घ.  पानवाला

उत्तर= पानवाला

 

46. नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे के चश्मे को देखकर क्या उम्मीद जगती है?

 क. ज्ञान प्राप्ति की उम्मीद

 ख.  नए लोगों में देश भक्ति की उम्मीद

 ग.  धन-दौलत प्राप्त करने की उम्मीद

 घ.  देश की तरक्की की उम्मीद

उत्तर= नए लोगों में देश भक्ति की उम्मीद

 

47. इस पाठ में पानवाले के चरित्र की प्रमुख विशेषता क्या दिखाई गई है?

 क. धोखेबाज़ है

 ख.  चालाक है

 ग.  बातों का धनी है

 घ.  गरीब और ईमानदार है

उत्तर= बातों का धनी है

 

48. 'वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!'-ये शब्द किसने कहे हैं?

क. पानवाले ने                                           ख.  हालदार ने

ग.  ड्राइवर ने                                            घ.  नगरपालिका के अध्यक्ष ने

उत्तर= पानवाले ने

 

49. 'नेताजी का चश्मा' पाठ के लेखक का क्या नाम है?

 क.  रामवृक्ष बेनीपुरी

 ख.  मन्नू भंडारी

 ग.  स्वयं प्रकाश

 घ. यशपाल

उत्तर= स्वयं प्रकाश

 

50. हालदार साहब कस्बे में क्यों रुकते थे?

 क.  आराम करने के लिए

 ख.  पान खाने के लिए

 ग.  किसी से मिलने के लिए

 घ.  कंपनी के काम के लिए

उत्तर= पान खाने के लिए

 

51. ड्राइंग मास्टर का क्या नाम था?

 क.  मोतीलाल                                          ख.  किशनलाल

 ग.  प्रेमपाल                                             घ.  सोहनलाल

उत्तर= मोतीलाल

52. कस्बे में कितने स्कूल थे?

क.  पाँच                                                           ख.  चार

ग.  तीन                                                   घ.  दो

उत्तर= दो

 

53. मूर्ति-निर्माण में नगरपालिका को देर क्यों लगी होगी?

 क.  धन के अभाव के कारण

 ख.  मूर्तिकार मिलने के कारण

 ग.  मूर्ति स्थापना के स्थान का निर्णय कर पाने के कारण

 घ.  संगमरमर मिलने के कारण

उत्तर= धन के अभाव के कारण

 

54मूर्ति बनाकर पटक देने' का क्या भाव है?

क.  मूर्ति बनाकर तोड़ देना

ख.  मूर्ति बनाना

ग.  मूर्ति समय पर बनाना

घ.  मूर्ति को फेंक देना

उत्तर= मूर्ति समय पर बनाना

 

55. 'तुम मुझे खून दो' नेताजी का यह नारा हमें क्या प्रेरणा देता है?

क.  तरक्की करने की

ख.  रक्त दान करने की

ग.  देश के लिए बलिदान देने की

घ.  देश से प्रेम करने की

उत्तर= देश के लिए बलिदान देने की

 

56. अंतिम बार हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कौन-सा चश्मा देखा था?

क.  सोने का चश्मा

ख.  लोहे का चश्मा

ग.  प्लास्टिक का चश्मा

घ.  सरकंडे का बना चश्मा

उत्तर= सरकंडे का बना चश्मा

 

57. हालदार साहब पहले मायूस क्यों हुए थे?

 क.  देशभक्तों के अनादर के कारण

 ख.  मूर्ति पर चश्मा होने के कारण

 ग.   मँहगाई के कारण

 घ.  बेरोजगारी के कारण

उत्तर= मूर्ति पर चश्मा होने के कारण

58. ‘नेताजी का चश्मा’ यह पाठ किस विधा में लिखा गया है?

क. उपन्यास                                             ख. कहानी

ग. नाटक                                                 घ. रिपोर्ताज

उत्तर= कहानी

59. ‘नेताजी का चश्मा’ इस पाठ लेखक कौन है?

क. स्वयं प्रकाश

ख. महादेवी वर्मा

ग. सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

ख. यशपाल

उत्तर= स्वयं प्रकाश

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~


No comments:

Post a Comment

लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप

  ( ख) लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप HINDI STUDY CLASS लक्ष्मण मूर्छा व राम का विलाप की व्याख्या -   दोहा – तव प्रताप उर राखि प्रभु , जैह...