उत्साह और अट नहीं रही है सारांश, पाठ-व्याख्या,
उत्साह पाठ का सार
” उत्साह ” एक आह्वान गीत है अर्थात एक ऐसा गीत है जिसमें अलग – अलग रूप से बादलों को आज्ञा देकर बुलाया जा रहा है। यह गीत बादल को संबोधित है अर्थात इस गीत में बादलों का बोध या ज्ञान कराया गया है। बादल ‘ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ’ जी का प्रिय विषय है। कहने का तात्पर्य यह है कि ‘ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ’ जी ने अपनी बहुत सी कविताओं में बादलों का वर्णन किया है। प्रस्तुत कविता में बादल एक तरफ पीड़ित – प्यासे लोगों की इच्छायों को पूरा करने वाला है , तो दूसरी तरफ वही बादल नयी कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस , विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला भी है। कवि जीवन को विस्तृत और संपूर्ण दृष्टि से देखता है। कविता में सुंदर कल्पना और क्रांति – चेतना दोनों हैं। सामाजिक क्रांति या बदलाव में साहित्य की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है , निराला इसे ‘ नवजीवन ’ और ‘ नूतन कविता ’ के संदर्भों में देखते हैं।
प्रस्तुत कविता आजादी से पहले लिखी गई है। गुलाम भारत के लोग जब निराश और हताश हो चुके थे। तब उन लोगों में उत्साह जगाने के लिए कवि एक ऐसे कवि को आमंत्रित कर रहे हैं जो अपनी कविता से लोगों को जागृत कर सकें। उनमें नया उत्साह भर सके और उनका खोया हुआ आत्मविश्वास दुबारा लौटा सके।
घेर घेर घोर गगन , धाराधर ओ !
ललित ललित , काले घुंघराले ,
बाल कल्पना के – से पाले ,
विद्युत छबि उर में , कवि नवजीवन वाले !
वज्र छिपा , नूतन कविता
फिर भर दो –
बादल गरजो !
शब्दार्थ
गरजो – जोरदार गर्जना ( जोरदार आवाज करना )
घेर घेर – पूरी तरह से घेर लेना
घोर – भयङ्कर
गगन – आकाश
धाराधर – बादल
ललित ललित – सुंदर – सुंदर
घुंघराले – गोल – गोल छल्ले का सा आकार
बाल कल्पना – छोटे बच्चों की कल्पनाएँ ( इच्छाएँ )
के – से पाले – की तरह बदलना
विद्युत – बिजली
छबि – चित्र , चलचित्र , प्रतिच्छाया , तसवीर
उर – हृदय , मन , चित्त
नवजीवन – नया जीवन
वज्र – कठोर
नूतन – नया
विकल विकल , उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन ,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन !
तप्त धरा , जल से फिर
शीतल कर दो
बादल , गरजो !
शब्दार्थ
विकल – व्याकुल , विह्वल , बेचैन , अधीर
उन्मन – अनमना , उदास , अनमनापन
विश्व – संसार
निदाघ – गरमी , ताप , वह मौसम या समय जब कड़ी धूप होती है
सकल – सब
जन – लोग
अज्ञात – जो ज्ञात न हो , जिसके बारे में पता न हो
अनंत – जिसका कोई अन्त न हो
घन – मेघ , बादल
तप्त धरा – तपती धरती , गर्म धरती
शीतल – ठंडा , शीत उत्पन्न करने वाला , सर्द , जो ठंडक उत्पन्न करता हो
व्याख्या – कवि बादलों से जोर – जोर से गरजने का निवेदन करते हुए बादलों से कहते हैं कि हे बादल ! तुम जोरदार गर्जना अर्थात जोरदार आवाज करो और आकाश को चारों तरफ से , पूरी तरह से घेर लो यानि इस पूरे आकाश में भयानक रूप से छा जाओ और फिर जोरदार तरीके से बरसो क्योंकि यह समय शान्त होकर बरसने का नहीं हैं। कवि बादलों के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर – सुंदर , काले घुंघराले अर्थात गोल – गोल छल्ले के आकार के समान बादलों , तुम किसी छोटे बच्चे की कल्पना की तरह हो। कहने का तात्पर्य यह है कि जैसे छोटे बच्चों की कल्पनाएँ ( इच्छाएँ ) पल – पल बदलती रहती हैं तथा हर पल उनके मन में नई – नई बातें या कल्पनाएँ जन्म लेती हैं। ठीक उसी प्रकार तुम भी अर्थात बादल भी आकाश में हर पल अपना रूप यानि आकार बदल रहे हो। कवि आगे बादलों से कहते हैं कि तुम अपने हृदय में बिजली के समान ऊर्जा वाले विचारों को जन्म दो और फिर उनसे एक नई कविता का सृजन करो। कवि ने बादलों की तुलना कवि से की है क्योंकि जिस प्रकार बादल धरती के सभी प्राणियों को नया जीवन प्रदान करते हैं , उसी प्रकार कवि भी हमारे अंदर के सोये हुए साहस को जगाते हैं। कवि बादलों से निवेदन करते हुए कहते हैं कि बादलों तुम अपनी कविता से निराश , हताश लोगों के मन में एक नई आशा का संचार कर दो। बादल जोरदार आवाज के साथ गरजो ताकि लोगों में फिर से नया उत्साह भर जाए।
भावार्थ – इस काव्यांश में कवि बादलों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि तुम जोरदार गर्जना करो और अपनी गर्जना से सोये हुए लोगों को जागृत करो , उनके अंदर एक नया उत्साह , एक नया जोश भर दो। कवि बादलों को एक कवि के रूप में देखते हैं जो अपनी कविता से धरती को नवजीवन देते हैं क्योंकि बादलों के बरसने के साथ ही धरती पर नया जीवन शुरु होता हैं। पानी मिलने से बीज अंकुरित होते हैं और नये – नये पौधें उगने शुरू हो जाते हैं। धरती हरी – भरी होनी शुरू हो जाती हैं। लोगों की सोई चेतना भी जागृत होती है। अत्यधिक गर्मी से परेशान लोग जब धरती पर वर्षा हो जाने के बाद भीषण गर्मी से राहत पाते हैं , तो उनका मन फिर से नये उत्साह व उमंग से भर जाता है। इसी कारण कवि बादलों से निवेदन करते हैं कि वो जोरदार बरसात कर धरती को ठंडक दें और लोगों में नया उत्साह भर दे।
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1.कवि
बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों?
प्रश्न 2.कविता
का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर-कवि ने कविता का
शीर्षक उत्साह इसलिए रखा है, क्योंकि कवि बादलों के माध्यम से क्रांति और
बदलाव लाना चाहता है। वह बादलों से गरजने के लिए कहता है। एक ओर बादलों के गर्जन
में उत्साह समाया है तो दूसरी ओर लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए
तैयार करना है।
प्रश्न 3.कविता
में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर-कवि ने बच्चे की
मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है
1. बच्चे की मुसकान से मृतक
में भी जान आ जाती है।
2. यों लगता है मानो झोंपड़ी
में कमल के फूल खिल उठे हों।
3. यों लगता है मानो चट्टानें
पिघलकर जलधारा बन गई हों।
4. यों लगता है मानो बबूल से
शेफालिका के फूल झरने लगे हों।
प्रश्न 4.शब्दों
का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा
हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से
शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद हैं,
छाँटकर लिखें।
उत्तर-‘उत्साह’
कविता में नाद सौंदर्य वाले शब्द निम्नलिखित हैं
ललित ललित , काले घुंघराले , बाल कल्पना के – से पाले।
विद्युत छबि उर में।
विकल विकल , उन्मन थे उन्मन।
अन्य महत्वपूर्ण हल प्रश्न
प्रश्न 1.कवि
ने क्रांति लाने के लिए किसका आह्वान किया है और क्यों ?
उत्तर-कवि ने क्रांति लाने
के लिए बादलों का आह्वान किया है। कवि का मानना है कि बादल क्रांतिदूत हैं। उनके
अंदर घोर गर्जना की शक्ति है जो लोगों को जागरूक करने में सक्षम है। इसके अलावा
बादलों के हृदय में बिजली छिपी है।
प्रश्न 2.कवि
युवा कवियों से क्या आवान करता है?
उत्तर-कवि युवा कवियों से
आह्वान करता है कि वे प्रेम और सौंदर्य की कविताओं की रचना न करके लोगों में जोश
और उमंग भरने वाली कविताओं की रचना करें,
जो लोगों पर बज्र-सा असर
करे और लोग क्रांति के लिए तैयार हो सकें।
प्रश्न 3.कवि
ने ‘नवजीवन’ का प्रयोग बादलों के लिए भी किया है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कवि बादलों को
कल्याणकारी मानता है। बादल विविध रूपों में जनकल्याण करते हैं। वे अपनी वर्षा से
लोगों की बेचैनी दूर करते हैं और तपती धरती का ताप शीतल करके मुरझाई-सी धरती में
नया जीवन फेंक देते हैं। वे धरती को फ़सल उगाने योग्य बनाकर लोगों में नवजीवन का
संचार करते हैं।
प्रश्न 4.बादल
आने से पूर्व प्राणियों की मनोदशा का चित्रण कीजिए।
उत्तर-जब तक आसमान में
बादलों का आगमन नहीं हुआ था, गरमी अपने चरम सीमा पर थी। इससे लोग बेचैन, परेशान
और उदास थे। उन्हें कहीं भी चैन नहीं था। गरमी ने उनका जीना दूभर कर दिया था। उनका
मन कहीं भी नहीं लग रहा था।
प्रश्न 5. कवि
निराला बादलों में क्या-क्या संभावनाएँ देखते हैं?
उत्तर-कवि निराला बादलों
में निम्नलिखित संभावनाएँ देखते हैं
- बादल लोगों को क्रांति लाने योग्य
बनाने में समर्थ हैं।
- बादल धरती और धरती के प्राणियों
दोनों को नवजीवन प्रदान करते हैं।
- बादल धरती और लोगों का ताप हरकर
शीतलता प्रदान करते हैं।
प्रश्न 6.कवि
ने बादलों के किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है,
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कवि ने बादलों को
‘आज्ञात दिशा के घन’ और ‘नवजीवन वाले’ जैसे विशेषणों का प्रयोग किया है। कवि
उन्हें अज्ञात दिशा के घन इसलिए कहा है क्योंकि बादल किस दिशा से आकर आकाश में छा
गए, पता नहीं। इसके अलावा वे धरती और प्राणियों को नवजीवन
देते हैं।
अट नहीं रही
1. छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के
भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह
धारणा पुष्ट होती है?लिखिए।
उत्तर कविता
के निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता में
अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है :
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है|
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है|
2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं
हट रही है?
उत्तर कवि
की आँख फागुन की सुंदरता से इसलिए हट नहीं रही है क्योंकि इस महीने में प्रकृति का
सौंदर्य अत्यंत मनमोहक होता है| पेड़ों पर हरी और लाल पत्तियाँ लटक रहे हैं| चारों
ओर फैली हरियाली और खिले रंग-बिरंगे फूल अपनी सुगंध से मुग्ध कर देते हैं| प्रकृति
का नया रंग और सुगंध जीवन में नयी ऊर्जा का संचार करती है|
3. प्रस्तुत कविता में कवि ने
प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है ?
उत्तर-प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की
व्यापकता का वर्णन निम्नलिखित रूपों में किया है -
• पेड़-पौधे नए पत्ते पाकर
खिलखिला रहे हैं|
• फूलों की खुशबू वातावरण को
सुगन्धित कर रही है|
• डालियाँ कहीं हरी तो कहीं
लाल पत्तियों से भर जाती हैं|
• बाग़-बगीचों में चारों ओर
हरियाली छा गयी है|
• कवि को प्रकृति के सौंदर्य
से आँख हटाना मुश्किल लग रहा है|
4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता
है ?
उत्तर -
फागुन में प्रकृति की शोभा अपने चरम पर होती है|
पेड़-पौधें नए पत्तों, फल
और फूलों से लद जाते हैं, हवा सुगन्धित हो उठती है। आकाश साफ-स्वच्छ
होता है। पक्षियों के समूह आकाश में विहार करते दिखाई देते हैं। बाग-बगीचों और
पक्षियों में उल्लास भर जाता हैं। इस तरह फागुन का सौंदर्य बाकी ऋतुओं से भिन्न
है।
5. इन कविताओं के आधार पर
निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी
छायावाद के प्रमुख कवि माने जाते हैं। उनके काव्य-शिल्प की विशेषताएँ हैं-
• दोनों कविताओं में प्रकृति
चित्रण द्वारा मन के भावों को प्रकट किया गया है|