आरोह Chapter 2 – काव्य भाग – पतंग
कवि परिचय
आलोक धन्वा
जीवन परिचय-आलोक धन्वा सातवें-आठवें दशक के बहुचर्चित कवि हैं। इनका जन्म सन 1948 में बिहार के मुंगेर जिले में हुआ था। इनकी साहित्य-सेवा के कारण इन्हें राहुल सम्मान मिला। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् ने इन्हें साहित्य सम्मान से सम्मानित किया। इन्हें बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान व पहल सम्मान से नवाजा गया। ये पिछले दो दशकों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं। इन्होंने जमशेदपुर में अध्ययन मंडलियों का संचालन किया और रंगकर्म तथा साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों व विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में भागीदारी की है।
रचनाएँ-इनकी पहली कविता जनता का आदमी सन 1972 में प्रकाशित हुई। उसके बाद भागी हुई लड़कियाँ, ब्रूनो की बेटियाँ कविताओं से इन्हें प्रसिद्ध मिली। इनकी कविताओं का एकमात्र संग्रह सन 1998 में ‘दुनिया रोज बनती है’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में व्यक्तिगत भावनाओं के साथ सामाजिक भावनाएँ भी मिलती हैं,
काव्यगत विशेषताएँ-कवि की 1972-73 में प्रकाशित कविताएँ हिंदी के अनेक गंभीर काव्य-प्रेमियों को जबानी याद रही हैं। आलोचकों का मानना है कि इनकी कविताओं के प्रभाव का अभी तक ठीक से मूल्यांकन नहीं किया गया है। इसी कारण शायद कवि ने अधिक लेखन नहीं किया। इनके काव्य में भारतीय संस्कृति का चित्रण है। ये बाल मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझते हैं। ‘पतंग’ कविता बालसुलभ इच्छाओं व उमंगों का सुंदर चित्रण है।
भाषा-शैली-कवि ने शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया है। ये बिंबों का सुंदर प्रयोग करते हैं। इनकी भाषा सहज व सरल है। इन्होंने अलंकारों का सुंदर व कुशलता से प्रयोग किया है।
कविता का सार- ‘पतंग’ कविता कवि के ‘दुनिया रोज बनती है’ व्यंग्य संग्रह से ली गई है। इस कविता में कवि ने बालसुलभ इच्छाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तन को अभिव्यक्त करने के लिए इन्होंने सुंदर बिंबों का उपयोग किया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है जिसके जरिये वे आसमान की ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं तथा उसके पार जाना चाहते हैं।
यह कविता बच्चों को एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ शरद ऋतु का चमकीला इशारा है, जहाँ तितलियों की रंगीन दुनिया है, दिशाओं के मृदंग बजते हैं, जहाँ छतों के खतरनाक कोने से गिरने का भय है तो दूसरी ओर भय पर विजय पाते बच्चे हैं जो गिरगिरकर सँभलते हैं तथा पृथ्वी का हर कोना खुद-ब-खुद उनके पास आ जाता है। वे हर बार नई-नई पतंगों को सबसे ऊँचा उड़ाने का हौसला लिए औधेरे के बाद उजाले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सार-कवि कहता है कि भादों के बरसते मौसम के बाद शरद ऋतु आ गई। इस मौसम में चमकीली धूप थी तथा उमंग का माहौल था। बच्चे पतंग उड़ाने के लिए इकट्ठे हो गए। मौसम साफ़ हो गया तथा आकाश मुलायम हो गया। बच्चे पतंगें उड़ाने लगे तथा सीटियाँ व किलकारियाँ मारने लगे। बच्चे भागते हुए ऐसे लगते हैं मानो उनके शरीर में कपास लगे हों। उनके कोमल नरम शरीर पर चोट व खरोंच अधिक असर नहीं डालती। उनके पैरों में बेचैनी होती है जिसके कारण वे सारी धरती को नापना चाहते हैं।
वे मकान की छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं मानी छतें नरम हों। खेलते हुए उनका शरीर रोमांचित हो जाता है। इस रोमांच मैं वे गिरने से बच जाते हैं। बच्चे पतंग के साथ उड़ते-से लगते हैं। कभी-कभी वे छतों के खतरनाक किनारों से गिरकर भी बच जाते हैं। इसके बाद इनमें साहस तथा आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
● मौसम एवं ऋतुओं की जानकारी |
● देसी व अंग्रेजी महीनों की जानकारी |
● कविता में मह्त्त्वपूर्ण अलंकार, प्रतीक, बिम्ब जैसे –आंखों जैसा लाल सेवेरा, शरद आया पुलों को पार करते हुए ।
● पतंग बच्चों की उमंग का रंग-बिरंगा सपना है जिनके जरिए वे आसमान की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं तथा उसके पार जाना चाहते हैं।
● बिम्बात्मक शैली का प्रयोग ।
● बाल- चेष्टा का अनूठा वर्णन।
● शरद- ऋतु का मानवीकरण ।
व्याख्या MCQ बहुविकल्पीय प्रश्न एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सप्रसंग व्याख्या कीजिए और नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. सबसे तेज़ बौछारें गयीं। भादो गया
सवेरा हुआ
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके-
दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज उड़ सके-
दुनिया का सबसे पतला कागज उड़ सके-
बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाजुक दुनिया।
शब्दार्थ-भादो-भादों मास, अँधेरा। शरद-शरद ऋतु, उजाला। झुंड-समूह। द्वशारों से-संकेतों से। मुलायम-कोमल। रंगीन-रंगबिरंगी। बाँस-एक प्रकार की लकड़ी। नाजुक-कोमल। किलकारी-खुशी में चिल्लाना।
दूसरे शब्दों में, कवि कहना चाहता है कि शरद ऋतु के आगमन से उत्साह, उमंग का माहौल बन जाता है। कवि कहता है कि शरद ने आकाश को मुलायम कर दिया है ताकि पतंग ऊपर उड़ सके। वह ऐसा माहौल बनाता है कि दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज उड़ सके। यानी बच्चे दुनिया के सबसे पतले कागज व बाँस की सबसे पतली कमानी से बनी पतंग उड़ा सकें। इन पतंगों को उड़ता देखकर बच्चे सीटियाँ किलकारियाँ मारने लगते हैं। इस ऋतु में रंग-बिरंगी तितलियाँ भी दिखाई देने लगती हैं। बच्चे भी तितलियों की भाँति कोमल व नाजुक होते हैं।
विशेष-
- कवि ने बिंबात्मक शैली में शरद ऋतु का सुंदर चित्रण किया है।
- बाल-सुलभ चेष्टाओं का अनूठा वर्णन है।
- शरद ऋतु का मानवीकरण किया गया है।
- उपमा, अनुप्रास, श्लेष, पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों का सुंदर प्रयोग है।
- खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
- लक्षणा शब्द-शक्ति का प्रयोग है।
- मिश्रित शब्दावली है।
MCQ बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'पतंग' कविता के कवि हैं-
(क) कुंवर नारायण
(ख) उमाशंकर जोशी
(ग) आलोक धन्वा
(घ) रघुवीर सहाय
2. कवि ने तेज बौछारों के जाने के साथ ही किस महीने के भी चले जाने की बात
कही है?
(क) सावन
(ख) आषाढ़
(ग) अश्विन
(घ) भादो
3. कविता में खरगोश की आँखों जैसा बताया गया है?
(क) सवेरे को
(ख) साईकिल को
(ग) पतंग को
(घ) आसमान को
4. पुलों को पार करते हुए कौन-सी ऋतु आई?
(क) शरद
(ख) वसंत
(ग) पावस
(घ) ग्रीष्म
5. शरद आया पुलों को पार करते हुए' में अलंकार है-
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) अतिशयोक्ति
(घ) मानवीकरण।
6. कवि के अनुसार दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन उड़ने वाली चीज़ है-
(क) तितली
(ख) फूल
(ग) पतंग
(घ) कपास
7. शरद बच्चों के झुंड को कैसे इशारों से बुलाता है ?
(क) तिरछे
(ख) सीधे
(ग) तीखे
(घ) चमकीले
8. कौन-सी ऋतु आकाश को मुलायम बना देती है?
(क) शरद
(ख) वसंत
(ग) पावस
(घ) ग्रीष्म
उत्तरमाला -: पठित काव्यांश-01
उत्तर 1. ग, 2. घ, 3. क, 4. क, 5. घ, 6. ग, 7 घ , 8. क
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न-
प्रश्न - (क) शरद ऋतु का आगमन कैसे हुआ?
(ख) भादों मास के बाद मौसम में क्या परिवतन हुआ?
(ग) पता के बारे में कवि क्या बताता हैं?
(घ) बच्चों की दुनिया कैसी होती हैं?
उत्तर –
(क) शरद ऋतु अपनी नयी चमकीली साइकिल को तेज चलाते हुए पुलों को पार करते हुए आया। वह अपनी साइकिल की घंटी जोर-जोर से बजाकर पतंग उड़ाने वाले बच्चों को इशारों से बुला रहा है।
(ख) भादों मास में रात अँधेरी होती है । सुबह में सूरज का लालिमायुक्त प्रकाश होता है । चारों ओर उत्साह और उमंग का माहौल होता है ।
(ग) पतंग के बारे में कवि बताता है कि वह संसार की सबसे हलकी, रंग-बिरंगी व हलके कागज की बनी होती है। इसमें लगी बाँस की कमानी सबसे पतली होती है।
(घ) बच्चों की दुनिया उत्साह, उमंग व बेफ़िक्री का होता है। आसमान में उड़ती पतंग को देखकर वे किलकारी मारते हैं तथा सीटियाँ बजाते हैं। वे तितलियों के समान मोहक होते हैं।
2. जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग सो अकसर
छतों के खतरनाक किनारों तक-
उस समय गिरने से बचाता हैं उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे।
शब्दार्थ-कपास-इस शब्द का प्रयोग कोमल व नरम अनुभूति के लिए हुआ है। बेसुध-मस्त। मृदंग-ढोल जैसा वाद्य यंत्र। येगा भरना-झूला झूलना। डाल-शाखा। लचीला वेग-लचीली गति। अकसर-प्राय:। रोमांचित-पुलकित। महज-केवल, सिर्फ़।
1. 'कपास' प्रतीक है-
(क) प्रकाश का (ख) अंधकार का (ग) कोमलता का (घ) शांति का
2. पतंग के साथ बच्चे कैसे दौड़ते हैं?
(क) डरकर (ख) संभलकर (ग) रुक-रुक कर (घ) बेसुध होकर
3.दौड़ते भागते बच्चे दिशाओं को बजाते हैं-
(क) सारंगी की तरह (ख) सितार की तरह
(ग) मृदंग की तरह (घ) हारमोनियम की तरह
4. छत से गिरने और बच जाने के बाद बच्चे क्या बन जाते हैं?
(क) डरपोक (ख) ईर्ष्यालु (ग) निडर (घ) सहनशील।
5. पतंग उड़ाते समय बच्चों के रोमांचित शरीर का संगीत क्या करता है?
(क) उन्हें गिरने से बचाता है (ख) उन्हें नचाता है
(ग) सब बच्चों को बुलाता है (घ) उन्हें डराता है
6. 'पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे है' से आशय है-
(क) उड़ान भरना (ख) स्वप्न देखना
(ग) आकाश छू लेने का अहसास होना (घ) पतंग उड़ने पर प्रसन्न होना
7. बच्चे किन के साथ-साथ उड़ रहे हैं?
(क) पक्षियों के (ख) पतंगों के (ग) बादलों के (घ) चिड़ियों के
8. बच्चे पतंगों के साथ-साथ और किनके के सहारे उड़ रहे हैं?
(क) रंध्रों के (ख) तंतुओं के (ग) धागे के (घ) कल्पना के
9.पृथ्वी किनके बेचैन पैरों के पास घूमती हुई आती है?
(क) तितलियों के (ख) खरगोश के (ग) बच्चों के (घ) पतंगों के
10. पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ क्या करती हैं?
(क) बच्चों को डराती हैं (ख) बच्चों को थाम लेती हैं
(ग) बच्चों को आकाश छू लेने का अहसास कराती हैं (घ) बच्चों को बुलाती हैं
उत्तरमाला -: पठित काव्यांश-02 और 03
उत्तर- 1. ग, 2.
घ, 3. ग, 4. ग , 5. क,
6. ग,
7. ख
, 8. क,
9. ग,
10. ख
प्रश्न- (क) पृथ्वी बच्चों के बचन पैरों के पास कैसे आती हैं?
(ख) छतों को नरम बनाने से कवि का क्या आशय हैं?
(ग) बच्चों की पेंग भरने की तुलना के पीछे कवि की क्या कल्पना रही होगी?
(घ) इन पक्तियों में कवि ने पतग उड़ाते बच्चों की तीव्र गतिशीलता व चचलता का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर –(क) पृथ्वी बच्चों के बेचैन पैरों के पास इस तरह आती है, मानो वह अपना पूरा चक्कर लगाकर आ रही हो।
3.
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे
अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
प्रुथ्वी और भी तेज घूमती हुई जाती है
उनके बचन पैरों के पास।
शब्दार्थ-रंध्रों-सुराखों, छिद्र, रोएँ । सुनहले सूरज-सुनहरा सूर्य।
व्याख्या-कवि कहता है कि आकाश में अपनी पतंगों को उड़ते देखकर बच्चों के मन भी आकाश में उड़ रहे हैं। उनके शरीर के रोएँ भी संगीत उत्पन्न कर रहे हैं तथा वे भी आकाश में उड़ रहे हैं। कभी-कभार वे छतों के किनारों से गिर जाते हैं, परंतु अपने लचीलेपन के कारण वे बच जाते हैं। उस समय उनके मन का भय समाप्त हो जाता है। वे अधिक उत्साह के साथ सुनहरे सूरज के सामने फिर आते हैं। दूसरे शब्दों में, वे अगली सुबह फिर पतंग उड़ाते हैं। उनकी गति और अधिक तेज हो जाती है। पृथ्वी और तेज गति से उनके बेचैन पैरों के पास आती है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न-
प्रश्न- (क) सुनहल सूरज के सामने आने से कवि का क्या आशय हैं?
(ख) गिरकर बचने पर बच्चों में क्या प्रतिक्रिया होती है?
(ग) पैरों को बेचैन क्यों कहा गया हैं?
(घ) ‘पतगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं”-आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – (क) सुनहले के सामने आने का आशय है-सूरज के समान तेजमय होकर क्रियाशील होना तथा बालसुलभ क्रियाओं जैसे-खेलना-कूदना, ऊधम मचाना, भागदौड़ करना आदि, में शामिल हो जाना।
(ख) गिरकर बचने के बाद बच्चों की यह प्रतिक्रिया होती है कि उनका भय समाप्त हो जाता है और वे निडर हो जाते हैं। अब उन्हें तपते सूरज के सामने आने से डर नहीं लगता। अर्थात वे विपत्ति और कष्ट का सामना निडरतापूर्वक करने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
(ग) पैरों को बेचैन इसलिए कहा गया है क्योंकि बच्चे इतने गतिशील होते हैं कि वे एक स्थान पर टिकना ही नहीं जानते। वे अपने नन्हे-नन्हे पैरों के सहारे पूरी पृथ्वी नाप लेना चाहते हैं।
(घ) ‘पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं’ का आशय है बच्चे खुद भी पतंगों के सहारे कल्पना के आकाश में पतंगों जैसी ही ऊँची उड़ान भरना चाहते हैं। जिस प्रकार पतंगें ऊपर-नीचे उड़ती हैं उसी प्रकार उनकी कल्पनाएँ भी ऊँची-नीची उड़ान भरती हैं जो मन की डोरी से बँधी होती हैं।
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न
कविता के साथ
प्रश्न 1. सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर: प्रकृति में परिवर्तन निरंतर होता रहता है। जब तेज़ बौछारें अर्थात् बरसात का मौसम चला गया, भादों के महीने की गरमी भी चली गई। इसके बाद आश्विन का महीना शुरू हो जाता है। इस महीने में प्रकृति में अनेक परिर्वन आते हैं –
- सुबह के सूरज की लालिमा बढ़ जाती है। सुबह के सूरज की लाली खरगोश की आँखों जैसी दिखती है।
- शरद ऋतु का आगमन हो जाता है। गरमी समाप्त हो जाती है।
- प्रकृति खिली-खिली दिखाई देती है।
- आसमान नीला व साफ़ दिखाई देता है।
- फूलों पर तितलियाँ मँडराती दिखाई देती हैं।
- सभी लोग खुले मौसम में आनंदित हो रहे हैं।
प्रश्न 2. सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हलकी और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?
उत्तर: कवि ने पतंग के लिए अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है। पतंग का निर्माण रंगीन कागज़ से होता है। इंद्रधनुष के समान यह अनेक रंगों की होती है। इसका कागज़ इतना पतला होता है कि बूंद लगते ही फट जाता है। यह बाँस की पतली कमानी से बनती है। कवि इनके माध्यम से बाल सुलभ चेष्टाओं का अंकन करता है। पतंग भी बालमन की तरह कल्पनाशील, कोमल व हलकी होती है।
प्रश्न 3. बिंब स्पष्ट करें-
सबसे तेज़ बौछारें गयीं। भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतग उड़ाने वाले बच्चों के झुड को
चमकील इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके
उत्तर – इस अंश में कवि ने स्थिर व गतिशील आदि दृश्य बिंबों को उकेरा है। इन्हें हम इस तरह से बता सकते हैं-
- तेज बौछारें – गतिशील दृश्य बिंब।
- सवेरा हुआ – स्थिर दृश्य बिंब।
- खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा – स्थिर दृश्य बिंब।
- पुलों को पार करते हुए – गतिशील दृश्य बिंब।
- अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए – गतिशील दृश्य बिंब।
- घंटी बजाते हुए जोर-जोर से – श्रव्य बिंब।
- चमकीले इशारों से बुलाते हुए – गतिशील दृश्य बिंब।
- आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए – स्पर्श दृश्य बिंब।
- पतंग ऊपर उठ सके – गतिशील दृश्य बिंब।
प्रश्न 4:
जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास – कपास के बारे में सोचें कि कयास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता हैं?
उत्तर –
कपास व बच्चों के मध्य गहरा संबंध है। कपास हलकी, मुलायम, गद्देदार व चोट सहने में सक्षम होती है। कपास की प्रकृति भी निर्मल व निश्छल होती है। इसी तरह बच्चे भी कोमल व निश्छल स्वभाव के होते हैं। उनमें चोट सहने की क्षमता भी होती है। उनका शरीर भी हलका व मुलायम होता है। कपास बच्चों की कोमल भावनाओं व उनकी मासूमियत का प्रतीक है।
प्रश्न 5:
पतगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं- बच्चों का उड़ान से कैसा सबध बनता हैं?
उत्तर –
पतंग बच्चों की कोमल भावनाओं की परिचायिका है। जब पतंग उड़ती है तो बच्चों का मन भी उड़ता है। पतंग उड़ाते समय बच्चे अत्यधिक उत्साहित होते हैं। पतंग की तरह बालमन भी हिलोरें लेता है। वह भी आसमान की ऊँचाइयों को छूना चाहता है। इस कार्य में बच्चे रास्ते की कठिनाइयों को भी ध्यान में नहीं रखते।
प्रश्न 6:
निम्नलिखित पंक्तियों को पढकर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
(क) छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं की मृदंग की तरह बजाते हुए
(ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।
- दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य हैं?
- जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती हैं?
- खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महसूस करते हैं?
उत्तर –
- इसका तात्पर्य है कि पतंग उड़ाते समय बच्चे ऊँची दीवारों से छतों पर कूदते हैं तो उनकी पदचापों से एक मनोरम संगीत उत्पन्न होता है। यह संगीत मृदंग की ध्वनि की तरह लगता है। साथ ही बच्चों का शोर भी चारों दिशाओं में गूँजता है।
- जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए छत कठोर नहीं लगती। इसका कारण यह है कि इस समय हमारा सारा ध्यान पतंग पर ही होता है। हमें कूदते हुए छत की कठोरता का अहसास नहीं होता। हम पतंग के साथ ही खुद को उड़ते हुए महसूस करते हैं।
- खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को अधिक सक्षम मानते हैं। हममें साहस व निडरता का भाव आ जाता है। हम भय को दूर छोड़ देते हैं।
कविता के आस-पास
प्रश्न 1:आसमान में रंग-बिरंगी पतगों को देखकर आपके मन में कैसे खयाल आते हैं? लिखिए
अन्य बहुविकल्पीय प्रश्न MCQ
प्र-1 पतंग कविता
में कवि ने वर्षा के बाद किस ऋतु का मनोहारी चित्रण किया है?
(क) वसंत ऋतु का
(ख) शीत ऋतु का
(ग) शरद ऋतु का
(घ) ग्रीष्म ऋतु का
प्र-2
पतंग के माध्यम से कवि ने क्या चित्रित क्या है?
(क) बाल-सुलभ
उमंगों एवं चेष्टाओं का
(ख) वर्षा ऋतु की
घनघोर बारिश का
(ग) धरती के
जीव-जंतुओं का
(घ) इनमें से कोई
नहीं
प्र- 3 पृथ्वी
घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(क) उपमा
(ख) मानवीकरण
(ग) अनुप्रास
(घ) रूपक
प्र-4 खरगोश की
आँखों जैसा लाल सवेरा पंक्ति में कौन-सा बिम्ब है?
(क) श्रव्य बिम्ब
(ख) स्पर्श बिम्ब
(ग) दृश्य बिम्ब
(घ) उपर्युक्त सभी
प्र-5 बच्चों के
शरीर का लचीलापन किसकी तरह है?
(क) इन्द्रधनुष की
तरह
(ख) कपास की तरह
(ग) जलधारा की तरह
(घ) पेड़ की डाल की
तरह
प्र-6 घंटी बजाते
हुए जोर जोर से इस पंक्ति में कौन-सा बिम्ब है?
(क) श्रव्य बिम्ब
(ख) दृश्य बिम्ब
(ग) स्पर्श बिम्ब
(घ) इनमें से कोई
नहीं
उत्तर- 1-(ग) शरद
ऋतु का 2-(क) बाल-सुलभ उमंगों एवं
चेष्टाओं का 3- ( ख) रूपक 4-(ग) दृश्य बिम्ब
5-(घ) पेड़ की डाल
की तरह 6- (क) श्रव्य बिम्ब