बालगोबिन भगत (राम वृक्ष बेनीपुरी )
बालगोबिन भगत – Class 10th Hindi
पाठ का सार,शब्दार्थ, प्रश्न और उत्तर - बालगोबिन भगत क्षितिज भाग - 2
पाठ का सार-
उपन्यास - पतितों के देश में
कहानी - चिता के फूल
नाटक - अंबपाली
रेखाचित्र - माटी की मूरतें
यात्रा-वृत्तांत - पैरों में पंख बांधकर
संस्मरण - जंजीरें और दीवारें।
कठिन शब्दों के अर्थ
• मँझोला - ना बहुत बड़ा ना बहुत छोटा• कमली जटाजूट - कम्बल
• खामखाह - अनावश्यक
• रोपनी - धान की रोपाई
• कलेवा - सवेरे का जलपान
• पुरवाई - पूर्व की ओर से बहने वाली हवा
• मेड़ - खेत के किनारे मिटटी के ढेर से बनी उँची-लम्बी, खेत को घेरती आड़
• अधरतिया - आधी रात
• झिल्ली - झींगुर
• दादुर - मेढक
• खँझरी - ढपली के ढंग का किन्तु आकार में उससे छोटा वाद्यंत्र
• निस्तब्धता - सन्नाटा
• पोखर - तालाब
• टेरना - सुरीला अलापना
• आवृत - ढका हुआ
• श्रमबिंदु - परिश्रम के कारण आई पसीने की बून्द
• संझा - संध्या के समय किया जाने वाला भजन-पूजन
• करताल - एक प्रकार का वाद्य
• सुभग - सुन्दर
• कुश - एक प्रकार की नुकीली घास
• बोदा - काम बुद्धि वाला
• सम्बल - सहारा
पठित गदयांश आधारित
प्रश्न
1-
पठित
गद्यान्श के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प लिखिए (1×5=5)
किन्तु खेतीबारी करते , परिवार रखते भी , बालगोबिन भगत साधु थे –साधु की सब
परिभाषाओं में खरे उतरने वाले | कबीर कोसाहब मानते थे ,उन्हीं के गीतों को गाते ,उन्हीं के आदेशों पर चलते | कभी झूठ नहीं बोलते ,खरा व्यवहार रखते थे | किसी से भी दो टूक बात करने में संकोच नहीं करते ,
न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते | किसी की चीज नहीं छूते , न बिना पूछे व्यवहार में लाते | इस नियम को कभी
–कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कि लोगों को कौतूहल होता ! –कभी वह दूसरे के खेत में
शौच के लिए भी नहीं बैठते ! वह गृहस्थ थे ; लेकिन उनकी सब
चीज साहब कि थी | जो कुछ खेत में पैदा होता , सिर पर लादकर पहले उसे साहब के दरबार में ले जाते जो उनके घर से चार कोस
दूर पर था | -एक कबीरपंथी मठ ! वह दरबार में भेंट रूप रख
देते और प्रसाद रूप में जो उन्हें मिलता ,उसे घर लाते और उसी
से गुजर चलाते ! इन सबके ऊपर , मैं तो मुग्ध था उनके मधुर
गान पर – जो सदा सर्वदा ही सुनने को मिलते | कबीर के वे सीधे
–सादे पद , जो उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते |
(क)-दो टूक बात करने से क्या अभिप्राय है ?
1- भगत अपनी बात स्पष्ट रूप से बिना किसी संकोच
के कहते थे
2-भगत अपनी बात कहने में संकोच करते थे
3- अस्पष्टवादी होना 4- इनमें से कोई नहीं
(ख)-भगत के खेत में जो
उत्पन्न होता ,उसे वे भेंट स्वरूप कहाँ भेंट कर आते थे ?
1-कबीर पंथी मठ में 2- मंदिर
में
3- दान में 4- ये सभी
(ग)-भगत स्वयं अपना निर्वाह
कैसे चलाते थे ?
1- प्रसाद रूप
में जो उन्हें मिलता उससे
2- अपनी खेती करके
3-मेहनत
करके
4- इनमें से कोई नहीं
(घ)-भगत को किसकी संज्ञा दी
गई है ?
1-साधु 2-संगीतकार 3- साहब की 4- ये सभी
(ड॰)-मैं तो मुग्ध था उनके मधुर गान पर , पंक्ति में मैं शब्द किसके लिए प्रयुक्त किया गया है ?
1-बालगोबिन भगत
के लिए 2- लेखक के
लिए 3.
उत्तर – क-भगत अपनी बात स्पष्ट रूप से बिना किसी संकोच के कहते थे
ख-कबीर पंथी मठ में
ग-प्रसाद रूप में जो उन्हें मिलता
उससे घ-साधु ड॰-लेखक के लिए
ख –निम्न लिखित
प्रश्नों के सही विकल्प लिखिए
1-
बालगोबिन भगत पाठ में भगत पतोहू के
पुनर्विवाह के रूप में समाज कि किस समस्या का समाधान प्रस्तुत करना चाहते हैं ?
1-विधवा
विवाह 2-सती प्रथा 3-बाल –विवाह 4-इनमें से कोई नहीं
उत्तर-विधवा विवाह
2- भगत के संगीत
के जादू क प्रभाव किस –किस पर पड़ता था ?
1-किसानों व आस –पास खेलते
हुए बच्चों पर 2- संत कबीर पर
3- कार्तिक पर 4-इनमें से कोई
नहीं
उत्तर –किसानों व आस –पास
खेलते हुए बच्चों पर
ग-वर्णनात्मक प्रश्न-
प्रश्न अभ्यास
1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत
अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
उत्तर- बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे परन्तु
उनमें साधु कहलाने वाले गुण भी थे -
1. कबीर के आर्दशों पर चलते थे,
उन्हीं के गीत गाते थे।
2. कभी झूठ नहीं बोलते थे, खरा व्यवहार
रखते थे।
3. किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से झगड़ा करते थे।
4. किसी की चीज़ नहीं छूते थे न ही बिना पूछे व्यवहार में लाते
थे।
5. कुछ खेत में पैदा होता, सिर पर लादकर
पहले उसे कबीरपंथी मठ में ले जाते, वहाँ से जो कुछ भी भेंट
स्वरुप मिलता था उसे प्रसाद स्वरुप घर ले जाते थे।
6. उनमें लालच बिल्कुल भी नहीं था।
2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं
छोड़ना चाहती थी?
उत्तर-भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर
नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत के बुढ़ापे का वह एकमात्र सहारा थी। उसके चले जाने
के बाद भगत की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था।
3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी
भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर-बेटे की मृत्यु पर भगत ने पुत्र के
शरीर को एक चटाई पर लिटा दिया, उसे सफेद चादर से ढक दिया तथा
वे कबीर के भक्ति गीत गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त करने लगे। भगत ने अपने पुत्रवधू से
कहा कि यह रोने का नहीं बल्कि उत्सव मनाने का समय है| विरहिणी
आत्मा अपने प्रियतम परमात्मा के पास चली गई है| उन दोनों के
मिलन से बड़ा आनंद और कुछ नहीं हो सकती| इस प्रकार भगत ने
शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता का भाव व्यक्त किया|
4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा
का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे लेकिन
उनमें साधु संन्यासियों के गुण भी थे। वे अपने किसी काम के लिए दूसरों को कष्ट
नहीं देना चाहते थे। बिना अनुमति के किसी की वस्तु को हाथ नहीं लगाते थे। कबीर के
आर्दशों का पालन करते थे। सर्दियों में भी अंधेरा रहते ही पैदल जाकर गंगा स्नान
करके आते थे तथा भजन गाते थे।
वेशभूषा से ये साधु लगते थे। इनके मुख पर सफे़द दाढ़ी तथा
सिर पर सफे़द बाल थे, गले में तुलसी के जड़ की माला पहनते थे, सिर पर कबीर पंथियों की तरह टोपी पहनते थे, शरीर पर
कपड़े बस नाम मात्र के थे। सर्दियों के मौसम में बस एक काला कंबल ओढ़ लेते थे तथा
मधुर स्वर में भजन गाते-फिरते थे।
5. बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर-बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण
इसलिए बन गई थी क्योंकि वे जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का अत्यंत गहराई से पालन
करते हुए उन्हें अपनेआचरण में उतारते थे। वृद्ध होते हुए भी उनकी स्फूर्ति में कोई
कमी नहीं थी। सर्दी के मौसम में भी, भरे बादलों वाले भादों की आधी रात में भी वे भोर में सबसे पहले उठकर
गाँव से दो मील दूर स्थित गंगा स्नान करने जाते थे, खेतों
में अकेले ही खेती करते तथा गीत गाते रहते। विपरीत परिस्थिति होने के बाद भी उनकी
दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता था। एक वृद्ध में अपने कार्य के प्रति इतनी
सजगता को देखकर लोग दंग रह जाते थे।
6. पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-भगत जी कबीर के गीत गाते थे। वे बहुत मस्ती से गाया
करते थे।कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे , उनका स्वर बहुत मधुर था। उनके गीत
सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगतीं थी। उनके गीत
का मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण में छा जाता था।
7. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत
प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का
उल्लेख कीजिए।
उत्तर-कुछ ऐसे मार्मिक प्रसंग है, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि
बालगोबिन भगत उनप्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, जो विवेक की कसौटी पर खरी नहीं उतरती थीं। उदाहरणस्वरुप:
1. बालगोबिन भगत के पुत्र की
मृत्यु हो गई, तो उन्हों ने सामाजिक परंपराओं के अनुरूप
अपने पुत्र का क्रिया-कर्म नहीं किया। उन्होंने कोई
तूल न करते हुए बिना कर्मकांड के श्राद्ध-संस्कार कर दिया।
2. सामाजिक मान्यता है की मृत शरीर को
मुखाग्नि पुरूष वर्ग के हाथों दी जाती है। परंतु भगत ने
अपने पुत्र को मुखाग्नि अपनी पुत्रवधू से ही दिलाई।
3. हमारे समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं दी गई है, परंतु भगत ने अपननी पुत्रवधू को पुनर्विवाह करने का आदेश दे दिया।
4. अन्य साधुओं की तरह भिक्षा
माँगकर खाने के विरोधी थे।
8. धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को
भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं ? उस माहौल
का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- आषाढ़ की रिमझिम फुहारों के बीच खेतों में धान की रोपाई चल
रही थी। बादल से घिरे आसमान में, ठंडी हवाओं के चलने के समय अचानक खेतों में से किसी के मीठे
स्वर गाते हुए सुनाई देते हैं। बालगोबिन भगत के कंठ से निकला मधुर संगीत वहाँ
खेतों में काम कर रहे लोगों के मन में झंकार उत्पन्न करने लगा। स्वर के आरोह के
साथ एक-एक शब्द जैसे स्वर्ग की ओर भेजा जा रहा हो। उनकी मधुर वाणी को सुनते ही लोग
झूमने लगते हैं, स्त्रियाँ स्वयं को रोक नहीं पाती है तथा
अपने आप उनके होंठ काँपकर गुनगुनाते लगते हैं। हलवाहों के पैर गीत के ताल के साथ
उठने लगे। रोपाई करने वाले लोगों की उँगलियाँ गीत की स्वरलहरी के अनुरूप एक विशेष
क्रम से चलने लगीं बालगोबिन भगत के गाने सेसंपूर्ण सृष्टि मिठास में खो जाती है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
1- 1 भगत के
व्यक्तित्व और उनकी वेषभूषा क अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए ?/बालगोबिन भगत का संक्षिप्त पहचान लिखिए ?
उत्तर –भगत जी गृहस्थ होते हुए भी सीधे –सरल
साधु थे |मंझौले कद ,गोरे –चिट्टे थे |
बाल सफ़ेद हो गए थे | वे प्राय: कमर में एक लंगोटी –सी पहने
रहते थे और सिर पर कबीरपंथी की भांति एक कनपटी टोपी पहने रहते थे | सर्दियों में वे काला कंबल ओढ़े रहते थे | उनके माथे
में सदा एक रामानंदी चन्दन सुशोभित रहता था | उनके गले में
तुलसी की माला बंधी रहती थी |
2-
बाल गोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषता
लिखिए ?
उतर -भगत जी प्रभु
–भक्ति के गीत गाया करत थे |उनके गानों में सच्ची टेर हुआ करती थी | उनका स्वर इतना मोहक , ऊँचा और आरोही होता था कि
सुनने वाले मंत्र मुग्ध हो जाते थे | औरतें उस गीत को
गुनगुनाने लगते थे |चाहे सर्दी हो या गर्मी उन्हें डिगा नहीं
सकती थी | उनके संगीत का जादुई प्रभाव सभी पर छा जाता था |
3-
3 भगत जी ने बेटे की मृत्यु के बाद क्या
किया ?
उत्तर- भगत जी ने
बेटे की मृत्यु के अवसर को उत्सव की तरह मनाया उनहोंने पुत्र के शव को धरती पर लिटाया | उसे सफ़ेद वस्त्र से ढककर फूलों से सजाया | उसके
सिरहाने पर एक दीपक रखा और प्रभु –भक्ति के गीत गाने लगे | उनका मानना था कि बेटे कि आत्मा परमात्मा से मिल गई है |
4-
4 भगत जी की पतोहू किन कारणों से अपने भाई
के साथ जाने को तैयार नहीं हुई ?
उत्तर-भगत जी की
पतोहू अपने ससुर के प्रति अगाध श्रद्धा ,आत्मीयता और अपनत्व रखती
थीं | उसने ससुर की सेवा को अपना धर्म मान लिया था इसलिए वह
अपने भाइयों के साथ जाने को तैयार नहीं हुई ।
5 आपकी दृष्टि
में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर
भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के निम्नलिखित कारण रहे
होंगे -
1. कबीर का आडम्बरों से रहित सादा जीवन
2. सामाजिक कुरीतियों का अत्यंत विरोध करना
3. कामनायों से रहित कर्मयोग का आचरण
4. ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम
5. भक्ति से परिपूर्ण मधुर गीतों की रचना
6. आदर्शों को व्यवहार में उतरना
11. गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से
क्यों भर जाता है?
उत्तर-आषाढ़ की रिमझिम बारिश में भगत
जी अपने मधुर गीतों को गुनगुनाकर खेती करते हैं। उनके इन गीतों के प्रभाव से
संपूर्ण सृष्टि रम जाती है, स्त्रियोँ भी इससे प्रभावित होकर गाने लगती हैं। इसी लिए
गाँव का परिवेश उल्लास से भर जाता है।
12. "ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु
थे।" क्या 'साधु'
की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए?
आप किन आधारों पर यहसुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति
'साधु' है?
उत्तर-एक साधु की पहचान उसके पहनावे
से नहीं बल्कि उसके अचार - व्यवहार तथा उसकी जीवन प्रणाली पर आधारित होती है। यदि व्यक्ति
का आचरण सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, त्याग, लोक-कल्याण आदि से युक्त है, तभी वह साधु है। साधु का जीवन सात्विक होता है। उसका जीवन
भोग-विलास की छाया से भी दूर होता है। उसके मन में केवल इश्वर के प्रति सच्ची भक्ति होती
है।
13. मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के
आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?
उत्तर-मोह और प्रेम में निश्चित अंतर
होता है मोह में मनुष्य केवल अपने स्वार्थ की चिंता करता प्रेम में वह अपने
प्रियजनों का हित देखता है भगत को अपने पुत्र तथा अपनी पुत्रवधू से अगाध प्रेम था।
परन्तु उसके इस प्रेम ने प्रेम की सीमा को पार कर कभी मोह का रुप धारण नहीं किया।
दूसरी तरफ़ वह चाहते तो मोह वश अपनी पुत्रवधू को अपने पास रोक सकते थे परन्तु
उन्होंने अपनी पुत्रवधू को ज़बरदस्ती उसके भाई के साथ भेजकर उसके दूसरे विवाह का
निर्णय किया।इस घटना द्वरा उनका प्रेम प्रकट होता है। बालगोबिन भगत ने भी सच्चे
प्रेम का परिचय देकर अपने पुत्र और पुत्रवधू की खुशी को ही उचित माना।
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